साथियों नमस्कार, आज के इस विषय “Beti Bachao Beti Padhao Essay | बेटी बचाओ बेटी पढाओ” में हम आपके साथ इस विषय पर कई गहन जानकारियों के साथ-साथ एक भाषण (Speech) साझा करने जा रहें हैं| यह विषय अत्यंत ही संवेदनशील विषय है इसलिए मंच पर इस विषय के बारे में बोलने से पहले एक बार विषय के बारे में पूरी जानकारी लेना बहुत आवश्यक है|
Beti Bachao Beti Padhao Essay | बेटी बचाओ बेटी पढाओ
(हमारा हमेशा से मानना रहा है की अपने भाषण की शुरुआत हमेशा किसी कहानी, कविता या किस्से से करें! अक्सर देखा जाता है की हमसे पहले आए हुए वक्ता के शब्द कई बार दर्शकों के दिलों में रह जाते हैं|
भाषण ख़त्म होने के बाद भी वक्ता की बातें दिमाग में चलती रहती है| ऐसी स्थती में कई बार श्रोता आपकी बात को नहीं सुन पाते| इस स्तथी में कोई भी कहानी, कविता या शायरी सबसे आसन तरीका होता है श्रोताओं का ध्यान खींचने का| इसीलिए अपने भाषण की शुरुआत हमेशा कहानी, कविता या किस्से से करें)
जैसे
1. जरूरी नहीं रौशनी चिरागों से ही हो
बेटियाँ भी घर में उजाला करती हैं
2. चहकते विहान का आफ़ताब है बेटी,
महकते शाम का महताब है बेटी!
ज़िन्दगी के छंदों का अलंकर है बेटी,
कविता के पन्नों का संस्कार है बेटी!
वत्सल के श्रंगार का रस है बेटी,
कल के संसार का यश है बेटी!!
३. ओस की एक बूंद होती हैं बेटियां,
पुरे परिवार की गूंज होती है बेटियां!
रोशन करेगा बीटा तो बस एक ही कुल को,
दो-दो कुलों की लाज होती है बेटियां!!
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दोस्तों, आज एक बहुत ही गहन मुद्दे पर में अपने विचार आपसे साझा करने वाला हूँ| लेकिन यकीं मानिये में इस मुद्दे पर आपसे बात करने के लोए बिलकुल भी खुश नहीं हूँ| आखिर क्यों प्रकृति की इस अनमोल देन को बचने के लिए हमें यह मुहीम चलाना पड़ रहा है|
हमारे समाज में बेटियों को बोझ समझा जाता है , आज के समय में भले ही लडकियाँ लडकों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलने की हिम्मत रखती हो लेकिन फिर भी भारत के कई छोटे इलाकें और पिछड़ी सोच के परिवार ऐसे भी हैं जहाँ बेटी के जन्म लेने पर कोई जश्न नहीं मनाया जाता है. यहाँ तक की बेटी को गर्भ में ही मार दिया जाता है.
साथियों, बेटी! प्रकृति की दी हुई एक ऐसी देन जो जीवन को निरंतर गतिमान बनाएं रखने के प्रकृति के महत्वपूर्ण नियम का एक अभिन्न अंग हैं| आपने कभी सोचा की आपकी माँ भी एक बेटी ही है|
सोचिये अगर आपकी माँ नहीं होती तो आप भी इस दुनियां में नहीं होते| तो फिर आखिर क्यों हम भ्रूण हत्या जैसे घिनोने कृत्य को कर प्रकृति के बनाएं नियम को तोड़ रहें हैं|
भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है पर सबसे अधिक दुर्भाग्य की बात ये है कि बढती जनसंख्या के बावजूद लड़कियों का अनुपात घटता जा रहा है. भारत की 2001 की जनगणना के अनुसार, हर हजार लड़कों पर 927 लडकियाँ थी, जबकि 2011 की जनगणना में ये आंकडें घटकर 918 लड़कियों पर आ गये|
क्या आपको पता है UNICEF ने भारत को बाल लिंग अनुपात ( Child Sex Ratio) में 195 देशों में से 41वाँ स्थान दिया है। यानि की हम लिंग अनुपात में 40 देशों से पीछे हैं|
भारत में लड़कियों की संख्या इतनी कम हो गई है की अब हमें “बेटी बचाओ-बेटी पढाओ” जैसी मुहीम चलाकर लोगों को जागरूक करना पड़ रहा है|
आखिर क्यों हमें “बेटी बचाओ-बेटी पढाओ” मुहीम की आवश्यकता पड़ी ?
यह वाकिया शुरू हुआ भारत में अजन्मे बच्चे के लिंग का पता लगाने वाले आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता से! इन मशीनों का आविष्कार अजन्में बच्चों की शारीरिक स्तथी, बिमारियों का पता लगाने के लिए हुआ था| लेकिन लोगों ने इन उपकरणों का इस्माल लिंग परिक्षण के लिए करना शुरू कर दिया|
समाज में बड़ी ही गहराई तक यह बात बैठी हुई है कि लड़कियों के साथ बड़ी जिम्मेदारी आती है। इन कारणों से लोग गर्भ में ही लिंग परिक्षण कर लड़कियों की गर्भ में ही हत्या कर देते हैं|
हालाँकि इन सबसे बचकर भी अगर कोई बेटी जन्म ले लेती है तो जन्म हो जाने के बाद भी लड़कियों के साथ भेदभाव नहीं थमता। स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा की जरूरतों को लेकर उनके साथ कई तरह से पक्षपात होता है। इस वजह से, ठीक ही कहा जाता है कि महिलाओं के जन्म से पहले ही उनके अधिकारों का हनन शुरू हो जाता है।
इन सब कृप्रथाओं से हमें छुटकारा सिर्फ महिला सशक्तिकरण के ही मिल सकता है| समन्वित रूप से, हकीकत यह भी है कि महिला सशक्तिकरण से समाज में विश्वास और अवैज्ञानिक प्रथाओं के पिछड़ेपन से मुक्ति मिलती है।
अंधविश्वासी मान्यताओं और प्रथाओं तक सीमित ग्रामीणों के बीच से आगे निकलने के लिए नए मीडिया और संचार तरीकों का पूरी तरह से इस्तेमाल करने की आवश्यकता है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान इसी लक्ष्य को हासिल करने, इसके बारे में जागरूकता फैलाने और बदलाव के लिए शुरू किया गया है।
हालाँकि कन्या भ्रूण हत्या में जितने माता-पिता व समाज जिम्मेदार हैं उनसे कई गुना जिम्मेदार चिकित्सक हैं| चिकित्सकों को यह समझना चाहिए की चिकित्सा की शिक्षा जान बचाने के लिए है, लड़कियों की हत्या के लिए नहीं।
कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए सरकार द्वारा भी समय-समय पर कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है| लेकिन जब तक समाज में इसके प्रति जागरूकता नहीं होगी कोई भी योजना साकार नहीं हो सकती|
देश में महिला-पुरुष अनुपात को सुधारने के लिए सरकार ने प्रधान मंत्री ‘सुकन्या समृद्धि अकाउंट’ की शुरुआत भी की, जिसका फायदा लड़कियों को मिलेगा। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ थीम पर एक डाक टिकट भी जारी किया गया|
बालिका भ्रूण हत्या रोकने के लिए आज पूरे समाज को लड़कियों के प्रति अपना नजरिया बदलने की जरूरत है। समाज के हर तबके में यह समस्या व्याप्त है। भले ही पूर्वोत्तर के क्षेत्र और आदिवासी इलाकों में लिंगानुपात बेहतर है, देश के कई हिस्सों में बालिका भ्रूण हत्या के मामले बहुत ज्यादा हैं।
बेटी बचाओ-बेटी पढाओ योजना | Beti Bachao Beti Padhao Essay
सरकार ने यह अभिनव योजना कई लड़कियों को बचाने के लिए शुरू की है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना पूरे समाज के लिए एक वरदान है।
इस बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय जैसे अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
यह योजना न केवल लड़कियों बल्कि पूरे समाज के लिए एक वरदान साबित हो सकती है। इतना ही नहीं, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना ऐसे वक्त आई है जब देश महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं जैसे- दुष्कर्म और अन्य तरह के हमलों का सामना कर रहा है। सरकार ने यह दावा भी किया है कि गृह मंत्रालय बड़े शहरों में महिला सुरक्षा बढ़ाने की योजना पर 150 करोड़ रुपए खर्च करने वाला है।
योजना के उद्देश्य (Objectives)
- · इस योजना का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से लड़कियों को सामाजिक और वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनाना है.
- · लोगों को इसके प्रति जागरुक करना एवं महिलाओं के लिए कल्याणकारी सेवाएं वितरित करने में सुधार करना है.
- · इस योजना के तहत मुख्य रूप से लड़के एवं लड़कियों के लिंग अनुपात में ध्यान केन्द्रित किया गया है. ताकि महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव और सेक्स डेटरमिनेशन टेस्ट को रोका जा सके.
- · इस योजना का उद्देश्य बेटियों के अस्तित्व को बचाना एवं उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना भी है.
- · शिक्षा के साथ – साथ बेटियों को अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ाने एवं उनकी इसमें भागीदारी को सुनिश्चित करना भी इसका मुख्य लक्ष्य है|
बेटी बचाओ बेटी पढाओ पर कविता

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर कविता
देश की बेटी अगर बेआबरू, नाशाद है,
दिल पर रखकर हाथ कहिए,
देश क्या आजाद है।
बेटा हो पैदा तो घर में,
खूब है खुशियां मने।
कोसी जाए माय वे,
गलती से जो बेटी जने।
बेटे को राजा कहे, दीपक कहे ,सम्मान दें,
बस चले तो बेटियों को ,जान से ही मार दे ।
ना ये बोलें ना ये डोले,
दिल की कुछ ना कर सके।
काटे गए हैं पंख इनके,
ऊंची ये ना उड़ सके।
जिसका पैदा होना ही अपशगुन, नापाक है,
बेटियो की ज़िंदगी, ये जिंदगी क्या खाक है।
लोगों को आज शिक्षित बहू चाहिए, बेटी नहीं,
लेकिन ये तब ही संभव है ,
जब बेटियाँँ शिक्षित होगी।
बेटियां तो एक नहीं दो-दो कुलों की शान है,
सच यही है मान ले मानव, बेटियां वरदान है।।
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