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साथियों नमस्कार !
दोस्तों, आप सभी को याद है कैसे हम बचपन में रात हो जाने पर दादी नानी की गोदी में जाकर बेठ जाते थे और उनसे कहानी (Moral Stories) सुनने की जिद किया करते थे | उन कहानियों के राजा-रानी खुद को मानकर हम दादी-नानी लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते गए ज़िन्दगी की भागदौड़ में बचपन की कहानियां जाने कहाँ छुट गई हमें पता ही नहीं चला | कभी-कभी हम उन्हीं कहानियों में खुद को ढूंढने की कोशिश करते हैं, लेकिन हमें बचपन की वो कहानियां नहीं मिलती |
इसीलिए हमारी वेबसाइट की खास पाठकों के लिए हम ढेर सारी Moral Stories लेकर आएं हैं, जिन्हें पढ़कर आप खुद को बचपन की उन गलियों में महसूस करेंगे जहाँ कभी आप अठखेलियाँ किया करते थे |
धन्यवाद !!