महिला सशक्तिकरण | Women Empowerment in India Speech
“Women Empowerment in India Speech” 21 वी सदी, यानी की एक ऐसा युग जहाँ महिलाओं के सम्मान और महिलाओं के पुरुषों के साथ कदम से कदम और कंधे से कन्धा मिलाने की लिए कई अभियान चलाए गए| लेकिन क्या वाकई में इन अभियानों, आन्दोलनों से हमारी महिलाओं के प्रति सोच में कुछ परिवर्तन आया है|
आज मुद्दा महिलाओं को सशक्त करने का नहीं वरन हमारी दकियानूसी सोच में परिवर्तन करने का है| आज हम महिला सशक्तिकरण के इसी मुद्दे पर हम बात करेंगे….
महिला सशक्तिकरण | Women Empowerment in India Speech
कई सालों पहले हमारी भारतीय संस्कृति में कई सारे बदलाव हुए| उन्हीं में एक सबसे बड़ा बदलाव था भारतीय संस्कृति का छोटे-छोटे समाज के रूप में परिवर्तित होना| सालो पहले हमारी भारतीय संस्कृति ने अलग-अलग सामाजिक परिपेक्ष में बदलना शुरू किया जहाँ अपना काम के अनुसार अलग-अलग समाज बने जैसे कोई जुते सिलाई का कम करता है तो वह मोची हुआ, कोई सोने-चंडी के आभूषण बनाता है तो वह सुनार हुआ और अगर कोई लकड़ी का कम करता है तो वह सुतार हुआ| \
लेकिन इन सभी समाजों के साथ कई सारी दकियानूसी प्रथाएँ और सोच भी उभर कर आई जैसे, दहेज़ प्रथा, घूँघट प्रथा, लड़के की चाह….और इन्हीं प्रथाओं ने महिलाओं से अपने ही जीवन से जुड़े निर्णय लेने का अधिकार छिन लिया|
- माहिला सशक्तिकरण क्या है ?
आखिरकार इन सभी दकियानूसी सोच और प्रथाओं से ऊपर उठ कर महिलाओं ने अपने अधिकार के लिए संघर्ष करन शुरू किया और आज हम सभी महिलाओं के सम्मान और अधिकार के लिए लड़ रहें हैं|
महिला सशक्तिकरण अभियान महिलाओं के संघर्ष को गति देने का ही एक रूप है जहाँ महिला और पुरुष दोनो समाज की इस सोच से लड़ते हुए उन्हें अपना उचित सम्मान और अधिकार दिलाने का प्रयत्न कर रहें हैं|
इसी कड़ी में हम 8 मार्च को पुरे विश्व में महिला दिवस के रूप में मानते हैं| जहाँ हम महिलाओं के अधिकारों के बारे में चर्चा करते है और महिलाओं को अपना उचित अधिकार दिलाने के लिए कई सारी योजनाओं के ऊपर विचार विमर्श करते हैं|
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क्या है महिला आरक्षण | What is Women’s Empowerment All About
भारतीय संविधान दुनियां के उन मुख्य संविधानों में से है जो महिला पुरुष समानता की बात करता है| भारतीय संविधान में सामाजिक, राजनितिक और आर्थिक रूप से महिलाओं को पुरुषों के सामान अधिकार प्राप्त है| लेकिन विडंबना इस बात की है, कि आज भी महिलाओं को अपने अधिकारों को प्राप्त करने और अपने सम्मान के लिए लड़ना पड रहा है|
महिलाओं को पुरुषों के समक्ष लाने और अपना उचित अधिकार दिलाने के लिए भारत की कांग्रेस सरकार ने साल 2008 में एक बिल पेश किया जिसके अनुसार संसद की 33 % सीटों पर महिलाओं के आरक्षण की बात कही गई| कांग्रेस सरकार ने राज्यसभा में इस बिल को पास करवा दिया लेकिन पूर्ण रूप से बहुमत नहीं मिलने के कारण कांग्रेस सरकार इस बिल को लोकसभा में पास नहीं करवा पाई|
आज भी हम नारी शक्ति व् नारी सम्मन की बात तो करते है लेकिन जब महिलाओं के लिए त्राग की बात सामने आती है तो आज भी भारतीय पुरुषों के कदम पीछे की और हट जाते हैं| इस बात का प्रत्यक्ष उदारहण पंचायती चुनाओं में देखने को मिलता है जहाँ राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं को 33 % आरक्षण प्राप्त है| यहाँ महिलाऐं पार्टी का टिकैत लेकर चुनाओं जीत तो जाती है लैकिन राजनितिक फैसले आज भी घर के पुरुष ही मिल कर करते हैं|