Heart Touching Story | तानाशाही
जय श्री कृष्ण! कहते हैं इन्सान को आज नहीं तो कल अपने कर्मों का फल मिल ही जाता है| ज़िन्दगी में अगर किसी के लिए भलाई की है तो हमारी ज़िन्दगी में भी अच्छा ही होता है| और अगर किसी की राह में कांटे बोए हैं तो कभी न कभी उसका फल हमें मिल ही जाता है| कुछ इन्हीं विचारों पर आधारित है हमारी कहानी ” Heart Touching Story | तानाशाही ” जिसे लिखा है पलवल (हरियाणा) से हमारी मण्डली के सदस्य “सुनील कुमार बंसल” ने!
Heart Touching Story | तानाशाही
“अरे औ महारानियों, यहाँ तुम्हारे महलों की तरह नौकर नहीं हैं, काम कर लो” शांति की ये रोबदार आवाज सुनकर उसकी दोनों देवरानियाँ, आशा और सुनीता… अन्दर तक कांप जाती थी! ज़रा से फुर्सत के पल भी वो दोनों एक साथ नहीं गुजार सकती थीं|
दोनों के पति, कमल और सुशील उनके बड़े भाई राम चरण के साथ एक ही दूकान पर काम करते थे| बात दोनों तरफ एक जैसी थी! वहां दुकान पर दोनों भाई अपने बड़े भाई से एक शब्द नहीं बोल सकते थे और यहाँ घर पर दोनों अपनी सास कम जिठानी से एक शब्द नहीं बोल सकती थीं| सास को तो दोनों ने देखा ही नहीं था और जिठानी, केवल नाम की ही शांति थी|
दोनों भाईयों का राम चरण के आदेश पर दुकान के काम में पिले रहना और घर में शांति के आदेश पर आशा और सुनीता का घर के काम में पिले रहना अब नियति बन चूका था| हालाँकि कमल और आशा की शादी को अभी एक साल और सुशील और सुनीता की शादी को सिर्फ आठ महीने ही हुए थे| दोनों देवरानियाँ देर रात को जब घर के काम से निबटती तो अपने हारे थके पतियों से कोई शिकायत नहीं कर पाती थीं| लेकिन पतियों को सब पता था, पर वो विवशता से कुछ न कह पाते|
दोनों भाई सब कुछ जानते और समझते थे पर कुछ कह नहीं पाते थे| माँ बाप के मरने के बाद भाभी ने बड़े भाई को ऐसा काबू में किया कि वो तो ना कुछ देखते थे और ना ही कुछ बोलते थे, घर में सिर्फ “शांति भाभी” का ही राज था| बड़े भाई के दो बच्चे थे, एक लड़का और एक लड़की! दोनों भाई अपने उन भतीजे और भतीजी पर जान छिड़कते थे पर भाभी ने कभी अपने देवरों को नौकर से ज्यादा कुछ नहीं समझा| हर बात में दुभांत करना भाभी की अब आदत सी बन गयी थी|
दोनों के दिल में भाभी की वैसे तो हर बात चुभती थी पर एक बात आज भी उनके दिल में नश्तर की तरह चुभी हुयी थी| जो कमल और सुशील की शादी से पहले हुई थी| हुआ यूँ, कि एक दिन तीनों भाई एक साथ खाना खाने बैठे| भाभी ने पहले बड़े भाई को खूब देशी घी में चुपड़ चुपड़ कर रोटियां खिलायी और जब कमल और सुशील खाना खाने बैठे तो देशी घी का डिब्बा एक तरफ रख दिया और डालडा से रोटी चुपड़ चुपड़ कर दोनों भाईयों को खिलाने लगी| ये देखकर कमल ने हिम्मत करके भाभी से कहा “भाभी हमको भी देशी घी से चुपड़कर रोटी दो ना, बड़े भाई को भी तो आप देशी घी की रोटी देती हो |”
इतना सुनते ही शांति भड़क गयी और बेलन नचा नचा कर बोली “हाँ, तुम्हारा बाप बहुत जायदाद छोड़ गया है और तुमने बड़े महल खड़े कर दिए हैं जो तुमको भी देशी घी की चुपड़ी हुयी रोटियां चाहिए|”
“पर भाभी, बाप तो हम सभी भाईयों का एक ही था और अब बड़े भाई ही हमारे पिता हैं तो आप ये दुभांत क्यों करती हैं ” कमल ने भर्राए हुए गले से कहा|
इतना सुनते ही शांति का पारा आसमान पर पहुँच गया और उसने बेलन दूर फैंककर मारा और राम चरण से चिल्लाती हुयी बोली “मेरे बस का नहीं है कि सबका काम भी करूं और ताने भी सुनूँ|”
पत्नी को क्रोध में देखकर राम चरण की तो जैसे जान ही निकल गयी| अपने ही दोनों भाईयों को बुरा भला कहकर अपनी पत्नी को मनाया| इस सब के बिच अपने भाईयों को ये देखने का भी ख्याल भी राम चरण के मन में नहीं आया| उस दिन दोनों भाई भूखे ही सो गए |
very good story
Thank you very much lokesh bansal