मतलब का संसार | Matlab Ka Sansar Moral Story in Hindi
Matlab Ka Sansar Moral Story in Hindi
काफी समय पहले की बात है, एक जंगल में एक शेर रहता था| शेर ठहरा जंगल का राजा, सौ पुरे जंगल के जानवर शेर से खोफ खाते थे| शेर दिनभर जंगल में मस्ती से घूमता और रात को अपनी गुफा में घुसकर मज़े से आराम करता| कई सालों से शेर की यही दिनचर्या थी| शेर की ज़िन्दगी बड़े मज़े से कट रही थी|
एक दिन शेर की गुफा में एक चूहा घुस गया| शेर के दर से कोई भी जानवर शेर की गुफा की तरफ नहीं आता था, इसीलिए चूहे को शेर की गुफा उसके रहने के लिए सबसे उचित जगह लगी| अब चूहा दिन भर अपने बिल में रहता और रात के वक़्त जब शेर सो जाता तब बिल से बहार आता था| कुछ दिन तो सब कुछ इसे ही चलता रहा, शेर को अपने बिल में चूहे के होने की भनक भी नहीं लगी|लकिन समय के साथ-साथ चूहे को खुद पर घमंड हो गया| अब उसे शेर से डर लगना भी बंद हो गया|
एक दिन चूहे ने सोचा, “शेर ने पूरी ज़िन्दगी इस जंगल को और जंगल के जानवरों को डरा-डरा कर परेशां किया है| क्यों ना में अब शेर को परेशान करके उसका जीना मुश्किल कर दूँ| बस चूहे महाराज के सोचने भर की देर थी….अब चूहा हर रोज रात को अपने बिल से बाहर निकलता और शेर की गर्दन के घने बाल काट जाता| शेर जब सुबह उठता तो उसे अपनी गर्दन के घने बाल ज़मीन पर पड़े मिलते| कुछ दिन तो शेर को कुछ समझ नहीं आया, लेकिन जल्द ही उसे अहसास हो गया की हो ना हो मेरे बिल में कोई चूहा घुस आया है, जो रोज रात को मेरे बाल कुतर जाता है| शेर ने चूहे को अपने पंजो से पकड़ने की बहुत कोशिश की लकिन हर बार चूहा शेर के चंगुल से निकल जाता|
Matlab Ka Sansar Moral Story in Hindi
चूहे को पकड़ने के लिए शेर एक दिन जंगल के एक बिलाव के पास गया और बिलाव को अपनी व्यथा सुनाइ| शेर ने बिलाव को अपने बिल में चलकर रहने की विनती की ताकि बिलाव के दर से चूहा शेर का बिल छोड़कर भाग जाए या बिलाव खुद उस चूहे का शिकार कर उसे मार डाले| शेर और बिलाव ठहरे एक ही जाती के, सौ बिलाव ने शेर की मदद करने के लिए हाँ कर दी और शेर के बिल में आकर रहने लगा| शेर ने बिलाव की अपने बिल में बहुत आदर सत्कार की और आराम से अपनी गुफा में रहने के लिए कहा|
अब शेर रोज जंगल से शिकार करके लाता और ताज़ा-ताज़ा मांस बिलाव को खिलाता| बिलाव के डर से अब चूहे ने अपने बिल से बहार निकलना बंद कर दिया| शेर को अपनी योजना कामियाब लगी, लेकिन उसे लगता था की हो ना हो चूहा अब भी बिल में है| शेर को जब भी चूहे की चूं-चूं सुने देती वह बिलाव को और भी अच्छा और ताज़ा मांस खिला देता ताकि बिलाव उसकी गुफा में ही रहे और बिलाव के डर से चूहा उसका बिल छोड़कर भाग जाए|
एक दिन ऐसे ही शेर शिकार की तलाश में जंगल में गया था, तभी बिलाव को चूहा दिखाई दिया और उसने झट से उसे अपने पंजे में दबोच लिया और चूहे को मार कर खा गया| शेर जब शाम को वापस अपनी गुफा में आया तो उसे अपनी गुफा में मरे हुए चूहे की बू आई| शेर समझ गया की हो ना हो आज बिलाव ने चूहे का काम तमाम कर दिया है|
शेर ने सोचा अब जब चूहा ही ना रहा तो मुझे बिलाव की क्या आवश्यकता| बस शेर के सोचने भर की देर थी, अब शिर ने बिलाव को मांस खिलाना भी बंद कर दिया, लेकिन बिलाव को तो अब बेठे-बेठे ताज़ा मांस खाने की आदत हो चुकि थी| कई दिन तक भोजन ना मिलने के कारण बिलाव की हालत अब इतनी ख़राब हो चुकी थी की अब वह खुद शिकार भी नहीं कर सकता था| बस कुछ ही दिनों में भूख और कमजोरी के कारण बिलाव की मृत्यू हो गई|
कहानी का तर्क यही है, कि “दोस्त कुल मिलाकर दुनिया मतलबी है, लकिन हम दुनिया से दूर भी नहीं भाग सकते| इसलिए अगर ज़िन्दगी में कोई भी आपकी मदद करे तो पहले उस मदद के पीछे छिपे स्वार्थ का पता करो” ……खुश रहो,,,