सोने के कंगन | Sone Ke Kangan Moral Story in Hindi
Sone Ke Kangan Moral Story in Hindi
किसी वन में एक बुढा शेर रहता था| जीवन के अंतिम पढ़ाव पर अब उसके शरीर ने जवाब दे दिया था| जवानी के दिनों में पूरे जंगल में उसका खोफ था लेकिन जीवन के अंतिम पड़ाव में अब उसके दांत और पंजे काफी कमज़ोर हो गए थे| कुछ दिन तो शेर शिकार के लिए पुरे जंगल में भटकता रहा लेकिन कोई शिकार नहीं होने के कारण वह थक हार कर नदी के किनारे बेठ गया| अब वह रोज नदी किनारे बेथ जाता और किसी शिकार की प्रतीक्षा करता लकिन उसे कोई भी शिकार नहीं मिलता|
कुछ दिन बाद ही वह भूख से तिलमिला उठा, भूख से विचलित होकर वह एक बार भगवान से प्रार्थना कर रहा था तभी उसकी नज़र पास ही पड़े एक सोने के कंगन पर पड़ी| शेर ने वह कंगन उठाया और उसे ध्यान से देखने लगा| कंगन देख कर उसके दिमाग में सोने के कंगन से शिकार की एक योजना आई|
अब शेर नदी के किनारे हाथ में कंगन डाल कर बेठ गया और हर आने जाने वाले यात्रियों से कहने लगा “सुनो! मेरे पास यह सोने का कंगन है, इसे आप दान के रूप में ग्रहण कर लो| इससे में पुण्य का भागी बनूँगा और मेरा जीवन सुधर जाएगा|”
लैकिन शेर के हाथ में कंगन होते हुए भी भला कौन यात्री उसके पास जाने की हिम्मत करता| आने-जाने वाले सभी यात्री शेर के पास जाने से पहले यही सोचते कि, शेर के पास जाते ही शेर उन्हें मार कर खा जाएगा फिर सोने का कंगन किस काम का|
एक दिन एक लालची व्यक्ति नदी के पास से गुजरा, व्यक्ति ने जब शेर की बात सुनी तो वह सोच में पड गया कि, अगर में शेर से यह सोने का कंगन ले लूँ तो मेरा आने वाला जीवन बड़े आराम से कट जाएगा| बस यही सोच कर वह शेर की और बढ़ा|
शेर को उस व्यक्ति में अपने शिकार की साफ झलक दिखाई दी| शिकार को पास आते देख शेर खुश हो गया| मोटे ताजा व्यक्ति को अपने पास आते देख शेर ने भगवान् को धन्यवाद दिया, कि है इश्वर! आप इस व्यक्ति को मेरे सोने के जाल में फसा दो ताकि बहुत दिनों बाद में आज भोजन कर पाउँ|
लालच में आकर राहगीर शेर के पास आकर बोला “है वनराज! आपके पास सोने का कंगन है और आप यह कंगन दान करना चाहते हैं| लेकिन यह कंगन आप मुझे कैसे दान करेंगे| इसके अलावा आप एक हिंसक पशु है फिर आप यह दान क्यों करना चाहते हैं| अगर में आपके पास यह कंगन लेने पहुंचा और आपने मुझे मार डाला तो …?
राहगीर की बात सुनकर शेर ने बड़े आदरपूर्वक ज़वाब दिया, “तुम्हारी शंका बिल्कुल सही है, मैंने अपनी युवास्था में कई प्राणियों का शिकार कर अपनी भूख शांत की है| लकिन अब अंत समय में , में कुछ दान-पुण्य करके अपने जीवन को साकार बनाना चाहता हूँ|
राहगीर शेर की चिकनी-चुपड़ी बातों में आकर उसके पास आया और बोला, लाइए वनराज! यह सोने का कंगन मुझे दे दीजिये| में आपका जीवन भर ऋणी रहूँगा|
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