Nathuram Godse | नाथूराम गोडसे जीवन परिचय
साथियों नमस्कार,
आज हम बात कर रहें हैं उस शक्स की जिसे लोग देशद्रोही मानते हैं और कुछ लोग देशभक्त! लेकिन यहाँ हम किसी को देशद्रोही या देशभक्त साबित करने नहीं आए हैं, यहाँ हम बस आपको “नाथूराम गोडसे” के जीवन में हुई कुछ घटनाओं के बारे में बताने जा रहें हैं| फैसला आपका है आप चाहे Nathuram Godse को देशभक्त कहें या देशद्रोही….
Nathuram Godse | नाथूराम गोडसे जीवन परिचय
राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी देश ही नहीं दुनिया के लिए भी शान्ति दूत है| देश को आजाद कराने वाले महात्मा पर पुरे देश की एक राय है लेकिन आज भी हमारे देश हिन्दुस्तान में कुछ लोग ऐसे है जो महात्मा गाँधी को गलत और गोडसे को सही ठहराते है।
देश की सबसे बड़ी राजनितिक पार्टी भाजपा की भोपाल से उम्मीदवार “प्रज्ञा ठाकुर” ने भी नाथूराम गोडसे को सही ठहरा दिया। आइए हम समझते है गोडसे आखिर है क्या ?
नाथुराम विनायक गोडसे या नाथुराम गोडसे का जन्म 19 मई 1910 को हुआ था| गोडसे एक कट्टर हिन्दू समर्थक थे| गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली में गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी। गोडसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुणे से पूर्व सदस्य भी रहे थे|
गोडसे का मानना था कि भारत विभाजन के समय गांधी ने भारत और पाकिस्तान के मुसलमानों के पक्ष का समर्थन किया था। जबकि हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर अपनी आंखें मूंद ली थी। गोडसे ने नारायण आप्टे और 6 लोगों के साथ मिल कर इस हत्याकाण्ड की योजना बनाई थी।
गांधी के अनशन से दुखी गोडसे तथा उनके कुछ मित्रों द्वारा गांधी की हत्या की योजना बनाई गई| इसी योजना के अनुसार दिल्ली के बिरला हाउस पहुँचकर २० जनवरी 1948 को मदनलाल पाहवा ने गांधी की प्रार्थना सभा में बम फेका।
योजना के अनुसार बम विस्फोट से उत्पन्न अफरातफरी के समय ही गांधी को मारना था परन्तु उस समय उनकी पिस्तौल जाम हो गयी और एकदम से चल ना सकी।
इस कारण Nathuram Godse और उनके बाकी साथी वहाँ से भागकर पुणे वापस चले गये जबकि मदनलाल पाहवा को भीड़ ने पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया।
इसके बाद नाथूराम गोडसे गांधी को मारने के लिये पुणे से दिल्ली वापस आ गए और वहाँ पर पाकिस्तान से आये हुए हिन्दू तथा सिख शरणार्थियों के शिविरों में घूम रहे थे।
उसी दौरान उनको एक शरणार्थी मिलाए जिससे उन्होंने एक इतालवी कम्पनी की बैराटा पिस्तौल खरीदी। नाथूराम गोडसे ने अवैध शस्त्र रखने का अपराध न्यायालय में स्वीकार भी किया था।