Hindi Story with Love | हिजड़ा
साथियों नमस्कार, आज हम आपको एक ऐसी कहानी “Hindi Story with Love | हिजड़ा” सुनाने जा रहें हैं जो प्रेम, वात्सल्य और ममता से भरी होने के साथ-साथ समाज की रूडिवादी सोच को भी सोचने पर मजबूर कर देती है|
यह कहानी हमें हमारी मण्डली के लेखक “सतिश जी भारद्वाज” ने भेजी है| हमें पूरा यकीं है आपको हमारी यह कहानी ज़रूर पसंद आएगी|
Hindi Story with Love | हिजड़ा
बस यात्रियों से भर चुकी थी और चलने को तैयार थी| सभी अपना सामान और खुद को संयत करने में लगे थे| एक युगल अपने लगभग पाँच वर्ष के बच्चे के साथ बैठा था| उस बच्चे ने हाथ में एक दो रूपये का सिक्का मजबूती से पकडा था|
बच्चे की माँ ने उस बच्चे से वो सिक्का माँगा तो बच्चे ने देने से इनकार कर दिया|
बच्चे की माँ ने झल्लाकर कहा “गिरा देगा तू इसे कहीं”
लेकिन बच्चे ने ध्यान नहीं दिया और जाहिर कर दिया कि वो सिक्का नहीं देगा|
तभी बस में एक प्रोढ़ उम्र का हिजड़ा चढ़ा| वो चटक लाल रंग का सूट सलवार पहने हुए था और होठो पर चटक लाली पोती हुई थी| बस में चढ़ते ही उसने ताली पिटते हुए कुछ नवयुवको की तरफ उत्तेजक इशारे किये और उन्हें छेड़ा|
उन युवको ने भी एक मादक मुस्कान के साथ उसको 10 का नोट थमा दिया| हिजड़ा अपनी इन उत्तेजक भाव भंगिमाओ के साथ बस में आगे बढ़ते हुए मांगने लगा|
उस युगल का चार वर्षीया बच्चा उस हिजड़े को उत्त्सुकता से देख रहा था| बच्चे के माता-पिता के साथ कई अन्य यात्रियों को भी उस हिजड़े की हरकतों से घृणा हो रही थी|
बस में कुछ ऐसे यात्री भी थे जिन्हें वो हिजड़ा मनोरंजन का साधन लग रहा था| ऐसे लोगो के मनोरंजन के लिए हिजड़ा अपनी हरकतों को और ज्यादा मादक करके कुछ मादक गीतों के बोल भी गा रहा था|
वो हिजड़ा बस में पीछे कि तरफ बढ़ चूका था और अभी उसने दो ही लोगो से पैसे लिए थे कि उस चार वर्षीय बच्चे ने जोर से उस हिजड़े को आवाज़ लगायी “माँ”
हिजड़े ने ध्यान नहीं दिया, बच्चे ने फिर आवाज़ लगायी “माँ”
अबकी बार हिजड़े ने ये शब्द “माँ” सुना तो लेकिन उस तरफ देखा नहीं|
उस बच्चे को उसकी माँ ने रोकने का प्रयास किया लेकिन बच्चे ने पुन: अपनी पूर्ण शक्ति से आवाज दी “ओ ताली बजाने वाली माँ”
इस बार एक झटके से हिजड़े ने पलट कर देखा| तभी एक व्यक्ति ने उसे देने के लिए एक नोट निकाल लिया था| उस हिजड़े ने वो नोट पकड़ भी लिया था लेकिन उस हिजड़े ने उस नोट को छोड़ दिया|
हिजड़े का ध्यान आकर्षित होते देखकर उस बच्चे की माँ जो बच्चे को रोक रही थी वो थोडा सहम गयी|
हिजड़े के भाव बदल गए थे उसके मुहँ से बस इतना निकला “हाँ मेरे बच्चे”
आप पढ़ रहें हैं सतीश भारद्वाज की लिखी “Hindi Story with Love | हिजड़ा”
बच्चे ने वो सिक्का हिजड़े को दिखाते हुए कहा “माँ ये भी लेलो”
ये शब्द माँ एक बार और सुनकर हिजड़े की आँखे जो अब तक नम सी थी अब उनसे पानी चेहरे पर आ चूका था| जो हिजड़ा अब तक अपनी उत्तेजक भावभंगिमाओं से मात्र मनोरंजन का साधन प्रतीत हो रहा था या कुछ लोगो को असहज किये हुए था|
अब वो हिजड़ा विस्मृत हो गया था| वो यूँ ही आगे बढ़ा, तभी उसे कुछ ध्यान आया उसने रुककर एक यात्री से लिए पैसे उसे लौटा दिए| वो यात्री अवाक हिजड़े को देख रहा था|
तभी बच्चे की एक और आवाज़ आई “माँ आजा”
हिजड़े ने एक रुंधी हुई आवाज में कहा “आ गयी मेरे बच्चे”
हिजड़े ने बच्चे के पास से गुजर कर आगे जिस सवारी से पैसे लिए थे उसे भी लौटा दिए| और बच्चे के पास आकार वो हिजड़ा अपलक उस बच्चे को निहारने लगा|
बच्चे के छोटे से हाथो से हिजड़े ने वो सिक्का लिया और उसे चूमकर माथे लगाया और ऊपर सर उठाकर भगवान् का धन्यवाद किया| बस में सभी इस दृश्य को देखकर अवाक थे|
क्या था आखिर उस दो रूपये के सिक्के में ऐसा जिसके लिए हिजड़े ने बस से इकट्ठे किये हुए सारे पैसे वापस लौटा दिए|
हिजड़े की आँखों से अब अविरल अश्रु धारा बह रही थी| हिजड़े की जिन आँखों थोड़ी देर पहले मादकता थी अब वो वात्सल्य से भर चुकी थी| हिजड़े ने बच्चे के सर को चूमा, हिजड़ा बुदबुदा कर बच्चे को दुआएं दे रहा था|
हिजड़े ने अपनी एक थैली में से 100 रूपये निकाल कर बच्चे के हाथ पर रख दिए| बच्चे की माँ ने उसे रोकते हुए कहा “ये क्या कर रहीं हैं आप”
हिजड़े ने अपने दुपट्टे से अपना मुहँ पूछा और बोला “बीबी आज से मेरी उम्र भी इसके नाम और इसके सारे दुःख मेरे नाम, बीबी तेरा बेटा है तुझे बना रहे, भगवान् सुखो से तेरी जिन्दगी भर दे”
हिजड़े ने फिर से आंशुओ से भीग चुके चेहरे को दुपट्टे से साफ़ किया और बच्चे के चेहेरे को अपने हाथो में लेकर चूमा और बोला “बीबी मुझे तो पैदा होते ही मेरी माँ ने भी रिश्ता तोड़ लिया था, हम हिजड़ो का जनम होता ही ऐसा है|
बीबी जिन्दगी में पहली बार आज इस बच्चे ने माँ कहा तो लगा… हाँ मैं भी इंसान हूँ| बीबी इस बच्चे ने मुझे क्या दे दिया तू ना समझेगी”
फिर वो हिजड़ा उस सिक्के को अपनी छाती से लगाये बस से उतर लिया और जाते जाते वो बस बच्चे को दुआए और आशीष देता चला जा रहा था|
बच्चे ने अपने पिता को वो सो रूपये का नोट दिखाया तो पिता ने उस नोट को अपने माथे से लगाया और अपनी पत्नी से बोला “संभाल कर रखना इसे, ये आशीर्वाद है एक माँ का…. अपने बेटे को”
Hindi Story with Love | हिजड़ा
लेखक- सतीश भारद्वाज
फोन नंबर :9319125343
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रोना आ गया। सच मे बहुत ही प्यारी कहानी है। कोई शब्द ही नही मिल रहे हैं कहने को।
जी! जब हमने इस कहानी को प्रकाशित किया था तो हम भी भावुक हो गए थे|