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Hindi Kahaniya for Kids

                            Hindi Kahaniya for Kids


पाठकों नमस्कार, कहा गया है बच्चों को अगर उनकी ही भाषा में कोई बात समझाई जाए तो वे बेखुभी समझते हैं| लेकिन अब हर बच्चे के साथ बच्चा तो नहीं बना जा सकता| इसलिए अगर बच्चों को कोई शिक्षाप्रद बात बताना है तो उन्हें कहानी के माध्यम से बताई जा सकती है| इसीलिए आज हम आपके लिए ऐसी कहानियां (Hindi Kahaniya for Kids) लेकर आएं हैं जिन्हें आप अपने बच्चो को सुनाकर उन्हें ज़िन्दगी के बारे में बता सकते हैं! लीजिये पेश है आज की कहानी………

                   लालची राजा | Hindi Kahaniya for Kids

यूनान देश के एक राज्य में एक लालची राजा रहता था| राजा इतना लालची था की उसे अपनी पुत्री के सिवा इस दुनियां में अगर कोई दूसरी चीज प्यारी थी तो वह बस सोना ही था| उसने इतना सोना इच्क्ट्हा कर लिया था की पूरा राज्य भी अगर बैठकर खाए तो सोना ख़त्म न हो, लेकिन फिर भी वह रात-दिन सोना इक्कठा करने के स्वप्न देखा करता था|

ऐसे ही एक दिन राजा अपने खजाने में बैठा सोने की इटे और अशर्फियाँ  गिन रहा था तभी वहां पर एक देवदूत प्रकट हुए| उन्होंने राजा को असरफियन और सोने की इटें गिनते देखा तो आश्चर्य से बोले, “आप राजा होते हुए खजाने में बैठकर अशर्फियाँ गिन रहें हैं, आपके पास इतना धन है फिर भी आपको संतोष नहीं”

राजा देवदूत की बात सुनकर नमन करता हुआ बोला, “मेरे पास धन कहाँ है, मेरे पास तो बस यह बहुत थोडा सा सोना है”

देवदूत बोला, “इतना धन होते हुए भी तुम्हें संतोष नहीं, बताओ कितना धन चाहिए तुम्हें ?”

राजा ने कहा, “महात्मा! में तो चाहता हूँ की में जिस वास्तु को छू लूँ वह सोने की हो जाए|

राजा की बात सुनकर देवदूत मुस्कुराया और बोला, “कल सबेरे से तुम जिस भी वास्तु को छुओगे वह सोने की हो जाएगी, तथास्तु!”

इतना कहकर देवदूत देवलोक को चले गए| इधर राजा को देवदूत की बात सुनकर रात भर नींद नहीं आई| राजा बस सबेरे के इंतजार में लेटा रहा| सवेरे जैसे ही सूर्य की पहली किरण महल की दीवारों पर पड़ी राजा को देवदूत की कही बात फिर से याद आ गई| उसने उठकर एक कुर्सी पर हाथ रखा वह सोने की हो गई| एक मेज को छुआ वह सोने की हो गई| राजा की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, ख़ुशी के मरे वह उछालने नाचने लगा| वह पागलों की भातीं अपने बागीचे में गया और पेड़ों को छुने लगा| उसने फुल, पत्ते, डालियाँ, गमले सब छुए और सब सोने के हो गए| राजा के पास सोने का पार नहीं रहा|

कुछ ही देर में राजा थक गया| सोने के लालच में उसे यह भी ध्यान नहीं रखा की और उसके कपडे और जुते भी सोने के होकर  भारी हो गए हैं| थकान के कारण वह प्यासा था और उसे भूख भी लगी थी| अब बागीचे से राजमहल लोटकर वह एक सोने की कुसी पर आकर बैठ गया|

एक नोकर ने राजा के सामने स्वादिष्ट भोजन और पानी लाकर रख दिया| जैसे ही राजा ने सोने को हाथ लगाया पूरा भोजन सोने का बन गया| पानी पिने के लिए जैसे ही राजा ने ग्लास को उठाया, गिलास और पानी भी सोने का हो गया| अब राजा के सामने सोने की रोटियां, सोने के चावल, सोने के आलू और सोने की मिठाइयाँ पड़ी थी| वह भूखा और प्यासा था लेकिन सोना चबाकर उसकी भूख और प्यास नहीं मिट सकती थी|

खुद को इस अवस्था में पाकर राजा की आँखों से आंसू निकल पड़े| उसी समय राजा की पुत्री खेलते-खेलते वहां पहुंची और अपने पिता को रोते देख उनकी गोद में बैठकर अपने पिता के आसूं पोंछने लगी| राजा ने अपनी पुत्री को गले लगा लिया, लेकिन अब वहां उसकी पुत्री कहाँ थी वह तो अब सोने की एक मूर्ति बन गई थी जिसे गोद में उठाना भी मुश्किल था| बिचारा राजा सर पिट-पिट कर रोने लगा|

देवदूत देवलोक से सब कुछ देख रहे थे| उन्हें राजा की ऐसी हालत देखकर राजा पर तरस आ गया| देवदूत फिर राजा के सामने प्रकट हुए| देवदूत को देखकर राजा देवदूत के पैरों में गिर पड़ा और अपनी गलती पर पछताते हुए अपना वरदान वापस लेने के लिए देवदूत से प्रार्थना करने लगा|

देवदूत ने मुस्कुराते हुए राजा से पुचा, क्या तुम्हें अब सोना नहीं चाहिए ? बताओ, एक गिलास पानी मूल्यवान है या फिर सोना ? एक टुकड़ा रोटी भली या सोना ?

राजा ने हाथ जोड़ते हुए कहा, “हे देव! मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया है| में जान गया हूँ की सोना महत्वपूर्ण नहीं है, सोने के बिना मनुष्य का कोई भी काम नहीं अटकता लेकिन अन्न जल के बिना मनुष्य का जीवन नहीं बच सकता| में अब कभी भी सोने का लोभ नहीं करूँगा|

राजा की बात सुनकर देवदूत मुस्कुराए और एक कटोरे में जल भरकर राजा को दिया और बोले, “राजन! इस जल को सभी जगह छिड़क दो|”

देवदूत के कहे अनुसार आजा ने वह जल अपनी पुत्री, मेज, कुर्सी, भोजन और बागीचे पर छिड़क दिया| देखते ही देखते सभी चीजे पहले के समान हो गई|

कहानी से शिक्षा:- दोस्तों कहानी पढने के बाद आपको हमारी बात सो समझ आ ही गई होगी| इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की धन के पीछे न भागकर जीवन को भरपूर जीने का लुफ्त उठाना चाहिए|

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                  बिना विचारे काम मत करो | Hindi Kahaniya for Kids

एक गाँव में एक किसान रहता था| किसान बहुत ही महानती, इमानदार और दयालु था| एक बार किसान जब अपने खेत से काम करके लौट रहा था तो उसे रास्ते में एक नेवला घायल अवस्था में मिला| नेवले को देख किसान को उस पर दया आ गई और वह उसे अपने घर ले आया| किसान ने नेवले की बड़े अच्छे से देखभाल की| कुछ ही दिनों में नेवला बिलकुल स्वस्थ हो गया|

अब वह नेवला किसान का पालतू बन गया था| वह दिन भर किसान के आँगन में ही रहता| एक दिन किसान अपनी फसल बेचने पास ही के गाँव की एक मंडी में गया था| घर पर किसान की स्त्री अकेली थी| सुबह घर का सारा काम निपटा कर किसान की स्त्री अपने बच्चे को दूध पिलाने के बाद बच्चे को आंगन में ही सुला कर घर का काम निपटाने लगी|

कुछ ही देर में वहां एक काला सांप अपने बिल से निकल कर आया| किसान का बच्चा वहीँ आँगन में एक कपडे के ऊपर सो रहा था| नेवले ने देखा की सांप धीरे-धीरे नेवले की और ही आ रहा है तो उसने आव देखा न ताव, सीधा जा कर सांप से भीड़ गया| कुछ ही देर में सांप और नेवला लहूलुहान हो गए| लेकिन आखिरकार जीत नेवले की और और नेवले ने सांप के टुकड़े=टुकड़े कर उसे मार गिरा दिया|

सांप को मारने के बाद नेवला जैसे ही घर के अन्दर पहुंचा किसान की स्त्री नेवले के मुह पर खून को लगा देखकर आग बबूला हो गई| किसान की स्त्री को लगा की हो न हो इस नेवले ने मेरे बच्चे को काटा है और इसके मुह पर मेरे ही बच्चे का खून लगा है| बस किसान की स्त्री के इतना सोचने भर की देर थी की उसने आव देखा न ताव अपने हाथ में पकडे झाड़ू से नेवले को मारना शुरू कर दिया| किसान की स्त्री ने नेवले को तब तक मारा जब तक की वह मुर्चित होकर जमीन पर गिर न गया|

नेवले को अपने किए की सजा देने के बाद किसान की स्त्री को अपने बच्चे की याद आई| किसान की स्त्री दौड़कर आँगन में आई, उसने देखा की उसका बच्चा आँगन में सुख से सो रहा है और पास ही एक काला सांप मरा पड़ा है| अगले ही पल किसान की स्त्री को अपने गलती का अहसास हो गया| वह दौड़कर घर में गई और मरे हुए नेवले को गोद में उठा कर रोने लगी| लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी| अब भलारोने से क्या लाभ…

इसीलिए कहा गया है…

बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताए…काम बिगाड़े आपनो, जग में होत हसाए!!

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