Skip to content
Dadi Maa ki Kahani

घंटे वाला भूत | Ghante Wala Bhoot Dadi Maa ki Kahani


Ghante Wala Bhoot Dadi Maa ki Kahani  

एक पहाड़ के निकट एक नगर बसा था| नगर की जनता राजा की कुशल न्याय व्यवस्था और शाशन से बहुत खुश थी| लेकिन अचानक नगर की जनता में एक यह भय व्याप्त हो गया, कि पहाड़ पर एक भूत रहता है क्यों की पहाड़ से कभी-कभी अचानक जोर-जोर से घंटे के बजने की आवाज़ आती रहती थी| कुछ समय बाद ही नगर के कुछ लोगों ने पहाड़ के निकट एक नर कंकाल को देखा| पहाड़ के पास नर कंकाल की बात नगर में आग की तरह फैलने लगी और देखते ही देखते नगर की जनता भय के कारन नगर से पलायन करने लगी| जबकि हकीकत यह थी की कुछ समय पहले ही एक चोर ने नगर के एक मंदिर में चोरी की थी और मंदिर के सामान के साथ मंदिर का घंटा भी चुरा लिया और सिपाहियों के डर के मारे वह उस पहाड़ की और भाग गया जहाँ एक बाघ ने उसका शिकार कर लिया|

कुछ समय बाद बंदरों का एक झुण्ड वहां से निकला और चौर के शव के पास पड़े घंटे को उठा लिया| शरारती होने के कारण बन्दर बारी-बारी से घंटे को बजाने लगे| बार-बार घंटे की आवाज और पहाड़ पर मिले नर कंकाल को देखकर लोगों के मन में पहाड़ पर भूत के होने का भय उत्पन्न हो गया और लोग भय के कारण नगर से पलायन करने लगे|

Ghante Wala Bhoot Dadi Maa ki Kahani

उसी नगर में एक गीता नाम की होंशियार लड़की भी रहती थी| घंटे की आवाज सुनकर वह भी परेशान थी| एक दिन जब उसने पहाड़ से घंटे के बजने की आवाज सुनी तो उसने सोचा बिना समय घंटा बजने वाला कोन हो सकता है| प्रभु भक्त तो केवल पूजा के वक़्त ही घंटी बजाते हैं फिर बेवक्त यह घंटी बजने वाला कोई और है जो नगर वालों को डरा रहा है| नगरवासी बिना बात जाने पलायन कर रहें हैं, इस तरह डर करनगर से पलायन करना तो मुर्खता है| यहि सोचकर उसने पहाड़ पर चड़कर खुद घंटे की आवाज़ का पता लगाने का निर्णय किया|

अगले दिन तड़के ही वह घंटे की आवाज़ का कारण जानने के लिए घर से निकल पड़ी| थोड़ी दूर जाने के बाद उसे बंदरों का एक झुण्ड दिखा जिनमे से एक बन्दर के हाथ में घंटा था| बन्दर के हाथ में घंटा देखकर गीता समझ गई की हो ना हो यह शरारती बन्दर ही असमय घंटा बजा-बजा कर लोगों को डरा रहें हैं|

गीता वहां से वापस आकर सीधे राजा के महल में पहुँच गई और राजा से जाकर निवेदन किया, कि “महाराज! में घंटा बजाने वाले भूत के बारे में जानता हूँ और उसे पकड़ सकती हूँ| लड़की की बात सुनकर राजा बहुत खुश हुआ लेकिन उसे उस लड़की की भी फिक्र थी इसलिए उसने गीता के साथ अपने सैनिकों की एक टुकड़ी भी पहाड़ पर भेजी|

पहाड़ पर पहुँचने से पहले गीता ने नगर के बाजार से ढेर सरे कैले खरीद लिए| गीता को पता था की बंदरों को कैले बहुत पसंद होते हैं और केलों को देखकर बन्दर उस घंटे एक और फैक देंगे| थोड़ी देर बाद ही गीता उस पहाड़ पर चढ़ गई| पहाड़ पर पहुंचकर उसने कैले बंदरों के आगे फैंक दिये| केलों को देखकर बंदरों ने घंटे को एक और फैक दिया और कैले उठा-उठा कर खाने लगे|

मौका देखकर गीता ने घंटा उठा लिया और पहाड़ से वापस आ गई और राजा के सामने उस घंटे को रखकर राजा को पूरी बात बताई| राजा गीता की होंशियारी और बहादुरी को देख बहुत प्रसन्न हुआ और गीता को ढेर सारा इनाम दिया| गीता की होंशियारी और बहादुरी से नगर वासियों ने चैन की साँस ली|

तो दोस्त इस कहानी का सार यही है, कि बिना कोई कारण जाने व्यर्थ में नहीं डरना चाहिए| भय की स्थति में भी होंशियारी और बहादुरी से काम लें|


तो दोस्तों आपको हमारी यह कहानी  “घंटे वाला भूत | Ghante Wala Bhoot Dadi Maa ki Kahani ” कैसी लगी हमें कमेंट में ज़रूर लिखे| और हमारा फेसबुक पेज जरुर LIKE करें!

यह भी पढ़ें:-
बेमेल दोस्ती | Bemel Dosti Moral Stories in Hindi

4 thoughts on “घंटे वाला भूत | Ghante Wala Bhoot Dadi Maa ki Kahani”

  1. I don’t even know how I ended up here, but I thought this post was great. I don’t know who you are but certainly you are going to a famous blogger if you are not already 😉 Cheers!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Hindi Short Stories » घंटे वाला भूत | Ghante Wala Bhoot Dadi Maa ki Kahani

घंटे वाला भूत | Ghante Wala Bhoot Dadi Maa ki Kahani