बेमेल दोस्ती | Bemel Dosti Moral Stories in Hindi
बेमेल दोस्ती | Bemel Dosti Moral Stories in Hindi
बहुत समय पहले कि बात है| एक जंगल में एक कौआ और एक हिरन रहते थे| दोनो में बहुत प्रगाढ़ मित्रता थी| दोनों हमेशा साथ रहते| जिस पेड पर कौआ अपने घोसले में रहता था उसी पेड के निचे एक कोटर में हिरन ने भी अपना घर बना रखा था| वैसे तो दोनों हमेशा साथ रहते लेकिन कभी-कभी हिरन घास चरते-चरते बहुत दूर निकल जाता था| कौआ एक मित्र ने नाते उसे हमेशा समझाता, कि घास के लालच में जंगल में ज्यादा दूर मत जाया करो नहीं तो किसी दिन किसी भी विपत्ति में फँस सकते हो| लेकिन हिरन कौए की बात को सुना-अनसुना कर देता|
एक दिन हिरन घास चरते-चरते जंगल के अंतिम छोर तक पहुँच गया| तभी दुसरे जंगल में रहने वाले एक सियार की नज़र घास चरते हुए हिरन पर पड गई| हिरन का हष्ट-पुष्ट शरीर देख कर सियार की नियत ख़राब हो गई| सियार ने हिरन को अपना भोजन बनाने के लिए तुरंत एक योजना बनाइ और हिरन के पास पहुँचकर बौला….
नमस्कार मित्र ! कैसे हैं आप ?
हिरन ने सियार की और देखा और बोला, माफ़ करना मित्र में आपको नहीं जानता हूँ, आप कौन हैं?
सियार ने बड़े ही प्रेम पूर्वक जवाब दिया, “मित्र! में इस जंगल में कई वर्षो बाद आया हूँ….लेकिन में इस जंगल में अकेला ही यहाँ वहां विचरण करता रहता हूँ इसलिए में आपको अपने मित्र बनाना चाहता हूँ और आपको पूरा विश्वास दिलाता हूँ की मेरी और से आपको कभी भी कोई भी परेशानी नहीं आने दूंगा|
Bemel Dosti Moral Stories in Hindi
हिरन ने सोचा की किसी से मित्रता करने से भला क्या नुकसान हो सकता है| इसलिए कुछ देर सोचकर वह सियार से बोला, मित्र! मुझे तुम्हारी बातों पर पूरा विश्वास है| अगर तुम्हारा इस जंगल में कोई भी मित्र नहीं है तो तुम मुझे अपना मित्र मान सकते हो|
हिरन की बात सुनकर स्यार बहुत खुश हुआ और दोनों जंगल में साथ-साथ विचरण करने लगे|
शाम होने पर हिरन ने सिया को बोला, मित्र! अब मेरा वापस अपने घर जाने का समय हो गया है| तुम भी अपने घर की और प्रस्थान करो| अब हम कल मिलेंगे|
हिरन की बात सुनकर सियार ढोंग करता हुआ बौला, मित्र हिरन! इस जंगल में मेरा कोई भी घर नहीं है| तुम मुझे भी अपने साथ ले चलो में भी वहीँ आसपास कहीं आपना घर बना लूँगा|
हिरन बड़ा ही दयालु था पर फिर भी उसने सियार के प्रस्ताव पर आशंका व्यक्त की, हिरन ने कहा…”मित्र! तुम्हारा कहना बिलकुल ठीक है लेकिन एक अजनबी को मेरे पडोसी शंका से देखेंगे और तुम पर विश्वास नहीं करेंगे|
हिरन की बात सुनकर सियार मुस्कुराते हुए बौला, “भाई हिरन, एक ओर तो तुम मुझे अपना मित्र कह रहे हो और दूसरी और पड़ोसियों के शंका की बात कर रहे हो| जब तुम मेरे मित्र हुए तो तुम्हारे पडोसी भी मेरे मित्र ही होंगे| तुम अपने आस पड़ोस वालों से मेरे परिचय अपने मित्र के रूप में ही कराना तो वो भी मुझे अपना मित्र ही मानेंगे|
हिरन सियार की बाते सुनकर सियार की चिकनी-चुपड़ी बातों में आ गया और बोला, “ठीक है मित्र! तुम मेरे साथ चल सकते हो…में सबको समझा दूंगा|
इतनी बात कर के दोनों साथ-साथ हिरन की कोटर की और चल पड़े| शीघ्र ही दोनों कोटर तक पहुँच गए| हिरन के साथ सियार को देख कौआ पुछ बैठा, मित्र! यह तुम्हारे साथ कौन है और तुम इसे यहाँ क्यों ले आए|
हिरन ने बड़ी ही सहजतापूर्वक जवाब दिया, “यह मेरा नया मित्र सियार है, इस जंगल में इसके रहने ठहरने की कोई भी व्यवस्था नहीं थी इसलिए में इसे अपने साथ यहाँ ले आया| अब यह यहीं-कहीं अपना घर बना लेगा| कौए ने हिरन को बहुत समझाया की ऐसा करना ठीक नहीं है लेकिन हिरन ने कौए की एक बात नहीं मानी|