अहंकार | Short Moral Stories in Hindi
Short Moral Stories in Hindi
बहुत समय पहले की बात है| एक गाँव में एक मूर्तिकार ( मूर्ति बनाने वाला ) रहता था| वह ऐसी मूर्तियाँ बनता था, जिन्हें देख कर हर किसी को मूर्तियों के जीवित होने का भ्रम हो जाता था| आस-पास के सभी गाँव में उसकी प्रसिद्धि थी, लोग उसकी मूर्तिकला के कायल थे| इसीलिए उस मूर्तिकार को अपनी कला पर बड़ा घमंड था| जीवन के सफ़र में एक वक़्त एसा भी आया जब उसे लगने लगा की अब उसकी मृत्यु होने वाली है, वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाएगा| उसे जब लगा की जल्दी ही उसकी मृत्यु होने वाली है तो वह परेशानी में पड़ गया|
यमदूतों को भ्रमित करने के लिए उसने एक योजना बनाई| उसने हुबहू अपने जैसी दस मूर्तियाँ बनाई और खुद उन मूर्तियों के बिच जा कर बेठ गया| यमदूत जब उसे लेने आए तो एक जैसी ग्यारह आकृतियों को देखकर दांग रह गए| वे पहचान नहीं कर पा रहे थे की उन मूर्तियों में से असली मनुष्य कौन है| वे सोचने लगे अब क्या किया जाए| अगर मूर्तिकार के प्राण नहीं ले सके तो श्रथि का नियम टूट जाएगा और सत्य परखने के लिए मूर्तियों को तोड़ा गया तो कला का अपमान हो जाएगा|
अचानक एक यमदूत को मानव स्वाभाव के सबसे बड़े दुर्गुण अहंकार को परखने का विचार आया| उसने मूर्तियों को देखते हुए कहा, “कितनी सुन्दर मूर्तियाँ बने है, लेकिन मूर्तियों में एक त्रुटी है| काश मूर्ति बनाने वाला मेरे सामने होता, तो में उसे बताता मूर्ति बनाने में क्या गलती हुई है”|
यह सुनकर मूर्तिकार का अहंकार जाग उठा, उसने सोचा “मेने अपना पूरा जीवन मूर्तियाँ बनाने में समर्पित कर दिया भला मेरी मूर्तियों में क्या गलती हो सकती है”| वह बोल उठा “कैसी त्रुटी”…
झट से यमदूत ने उसे पकड़ लिया और कहा “बस यही गलती कर गए तुम अपने अहंकार में, कि बेजान मूर्तियाँ बोला नहीं करती”…
कहानी का तर्क यही है, कि “इतिहास गवाह है, अहंकार ने हमेशा इन्सान को परेशानी और दुःख के सिवा कुछ नहीं दिया”|
चिंता की चिता | Short Moral Stories in Hindi
एक बार एक राज्य का राजकुमार राज्य भ्रमण पर निकला| राजकुमार के साथ उसके आठ-दस मित्र भी थे| सभी भ्रमण करते-करते गाँव से थोडा दूर निकल गए थे| उसी गाँव में कुछ गुर्जर महिलाऐं रोज अपने घर के दूध, छाछ, दही को बेचने पास के गाँव में लगने वाले बाज़ार में जाया करती थी|
नगर भ्रमण के दौरान राजकुमार ने देखा की कुछ महिलाऐं सर पर दूध, दही के मटके रखकर जा रही है| इस द्रश्य को देखकर राजकुमार को भगवान् कृष्णा की याद आ गई| भगवान् कृष्ण भी गोपियों की मटकियों को फोड़कर दूध, दही, मक्खन खा जाते थे| राजकुमार को भी भगवान् कृष्ण की तरह रासलीला करने का विचार मन में आया|
बस फिर क्या था उन्होंने कंकड़ उठाए और घोड़े पर बैठे-बैठे ही सभी गुर्जर महिलाओं की मटकियाँ फोड़ दी| गुर्जर महिलाऐं बिचारी अपना नुकसान होते देख रोने लगी| उन्हीं महिलाओं में एक महिला ऐसी थी जो अपना दूध, दही बिखरने के बावजूद हंस रही थी|
Awesome
Thank you
Aapka yah moral stories pr post bahut hi achha laga. Aap bahut hi achhe likhte hain. is post ke liye Dhnyabad.
Thank you very much Hindi Apni
बहुत बढ़िया बहुत-बहुत धन्यवाद इस तरह की कहानियां share करने के लिए|
good work, nice story, keep posting
Thank you Ankur Rathi.
nice story.
Thanks
very nice story aap kahani bhut acchi hai is tarah ki or kahnai aap yaha se padh sakte hai.
Thanks for appreciation Ashok ji.
Ha ha ha… बिलकुल सही कहा आपने, जब इंसान पे अहंकार भारी हो जाता हैं, तो अहंकार को छोड़कर उनके दिमाग में कुछ और नहीं बचता। उन्हें न तो भले की समझ रहती है और न ही बुरे की।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद युवराज धनोतिया जी|
Who is the author?
Auther Name is “Mohit Rathore”
बहुत सूंदर लेख भाई !
आपका बहुत बहुत धन्यवाद¡
Nice story
बहुत अछि स्टोरी है सर दिल तो छू लेने वाली
बहुत बहुत धन्यवाद…
मै बार बार इस कहानी को पढ़ता हूं
आपका बहुत बहुत धन्यवाद!
Beautiful, nice and moralful story ???
Beautiful, nice and moralful story ???
very nice story read by storyteller
बहुत अच्छी कहानी लिखी है आपने ऐसे ही लिखते रहिये
Best stories for person who will got success in his life
Thank you very much yogesh bhatt
Very nice and understanding story
Thank you very much disha..