बरसात | Barsaat Hindi Kahani
Barsaat Hindi Kahani
उस शाम फिर बड़ी ही चालाकी से फिर से दीपू ने मेरा हाथ छुड़ाया और बड़े रुबाब से फलों की उस दुकान में घुस गया, जहाँ कोई हर रोज़ बड़े प्यार से उसे एक चॉकलेट देता था| ऐसा वह रोज़ करता था! हांलाकि मुझे फलों वाले चाचा के अलावा वहां कभी कोई दिखा नहीं, लैकिन दीपू हमेशा उस लड़की के बारे में बात करता जो उसे रोज़ एक चॉकलेट देती थी | खैर, बस आ गई थी और काफी देर से बस स्टैंड पर इंतजार करते-करते मेरे पैर भी थक गए थे| मैंने दीपू को आवाज़ लगाई! अन्दर से दीपू दौड़ता हुआ आया और हर रोज़ की तरह मुझे अपने अंदाज़ में चॉकलेट दिखाते हुए बस में चढ़ गया! हर बार उसके इस तरह से चॉकलेट दिखा कर मुझे चिड़ाने पर में मुस्कुरा जाता और अनायास ही पीछे मुड कर फलों की उस दुकान में किसी को खोजने की कोशिश करता लेकिन ना जाने क्यों हर रोज़ की तरह फलों वाले चाचा के अलावा मुझे कोई वहां नज़र नहीं आता!
लगभग दो साल पहले का वो दिन जब दीपू में और संगीता ख़ुशी ख़ुशी संगीता के घर से आ रहे थे, कि अचानक एक तेज़ रफ़्तार वाला ट्रक हमारे सामने आ गया| मुझे कुछ समझ आता तब तक हमारी कार पलट कर रोड की दूसरी साइड पर चली गई थी| दो दिन बाद जब मुझे हॉस्पिटल में होंश आया तो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, कि क्या हुआ| मेने माँ से संगीता और दीपू के बारे में पूछा | उन्होंने बताया की दीपू पास वाले वार्ड में है और अब ठीक है|
और संगीता
मेरे संगीता के बारे में पूछने पर माँ फुट-फुट कर रोने लगी!
बताओ ना माँ, संगीता कहाँ है (आंसुओं की बूंदों ने तब तक मेरी आँखों को भी घेर लिया था)
माँ तब कुछ भी नहीं बोल पाई!
मुझे संगीता के साथ बिताए हर पल याद आ रहे थे,
अभी कल ही तो कह रही थी माँ ने नई सिल्क की साडी दी है…सालगिरह पर! और मेरे लिए कुछ नही दिया (मेने नाराजगी जताते हुए कहा था)
आपके लिए मुझे दिया हे न मेरे बुद्धू (मेरे गालों को खीचते हुए उसने बड़े प्यार से कहा था)
कितना बदनसीब हूँ में, आखरी बार संगीता को देख भी नहीं पाया! (यह सोच कर में फुट-फुट कर रोने लगा था)
पापा चॉकलेट (दीपू की आवाज़ सुनकर मेरा ध्यान टुटा)
आंटी ने कहा है, पापा को भी खिलाना..(दीपू ने कहा)
में बस मुस्कुरा दिया!
आज जब घर आया तो माँ फिर मुह फुला कर बेठी थी|
अपने लिए ना सही पर कम से कम दीपू के लिए तो शादी कर लो| (माँ ने कहा)
दीपू को सम्हालने के लिए आप सब हो ना माँ, फिर दूसरी शादी की क्या ज़रूरत| (कहकर, मेने हमेशा की तरह बात को टाल दिया)
दीपू के लिए माँ की ज़रूरत मुझे भी लगती थी पर में हमेशा यही सोचता की क्या कोई और दीपू को उतना प्यार दे पाएगा|
खैर, माँ की बाते सुनते-सुनते हमने खाना खाया|
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अगले दिन दीपू को स्कूल छोड़ कर जब में ऑफिस आया तो बारिश शुरू हो चुकी थी| आज दिन भर बारिश हुई और शाम तक लगभग पुरे बाज़ार में पानी भर गया था| ऑफिस बंद हो गया था लेकिन बारिश बंद होने का इंतजार करते-करते एक घंटा होने को आया था| पास की एक दुकान से मेने रेन कोट ख़रीदा और दीपू को लेने स्कूल की तरफ निकला| लेकिन रास्ते में पड़ने वाले, नाले की वजह से आगे जाने का रास्ता बिलकुल बंद था| मेने दीपू के स्कूल में फोन किया तो पता चला सारे बच्चे स्कूल से जा चुके हैं और दीपू भी उन्ही के साथ स्कूल से निकल गया|
कहाँ गया होगा, थोड़ी देर इंतजार नहीं कर सकता था (मुझे दीपू की चिंता हो रही थी लेकिन साथ ही उस पर गुस्सा भी आ रहा था)
नाले में इतना पानी आ गया था, कि निकलना मुश्किल था| तभी मेरे मोबाइल पर एक अनजाने नंबर से कॉल आया! मैंने रिसीव किया तो सामने से किसी लड़की की आवाज़ आई|
दीपू दुकान पर आ गया है, आप चिंता मत कीजिएगा (सामने से आवाज़ आई)
कौन सी दुकान पर और आप कौन बोल रहीं हैं! (मैंने पूछा)
चॉकलेट वाली आंटी (उसने इतना कहा और कॉल कट गया)
लैकिन, में लेने जाने ही वाला था! आज थोडा लेट हो गया तो अकेले निकलने की क्या ज़रूरत थी, उसे कुछ हो जाता तो….
(एक के बाद एक मेरे मन में कई सवाल चल रहे थे)
खैर, में दुसरे रास्ते से होता हुआ बस स्टैंड पहुंचा!
आज भी दुकान पर फलों वाले चाचा ही खड़े थे|
दीपू यहाँ है क्या चाचा…(आज में पहली बार चाचा से बोला था)
उन्होंने अन्दर देखते हुए आवाज़ लगाई….
नीतू…..दीपू के पापा आए हें, दीपू को भेजो!
मेरी आवाज़ सुनकर अन्दर से दीपू दौड़ता हुआ आया…
पता नहीं क्यों आज मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे में बरसों बाद दीपू से मिल रहा था|
अकेले आने की क्या ज़रूरत थी, में आ ही रहा था ना…
(मैंने दीपू को गोद में उठाते हुए बोला)
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तभी पीछे से आवाज़ आई….
लीजिए आप भी सर पोंछ लीजिए, गिले बालों में सर्दी बड़ी जल्दी बैठती है!
मेने पीछे देखा…
घुंघराले बाल, जैसे बारिश के बादल..ज़मी पर उतर आए हो….
आँखे, जैसे कुछ कहना चाह रही हो…
होंठ, जैसे गुलाब की पंखुडियां हो…
पटियाला सूट में मेने पहली पर दीपू की चॉकलेट वाली आंटी को देखा|
हाथ में टावेल लिए उसने फिर कहा “सर पोंछ लीजिए में चाय बना देती हूँ”
संगीता भी तो मुझे यही कहती थी, हर बारिश में मुझे उसके साथ भीगना अच्छा लगता था लेकिन वो सर्दी का बहाना कर के पहले तो टाल देती, लेकिन बाद में मुझे भीगता देख खुद भी आ जाती और कहती “आप कहें तो आंग में कूद जाए, यह तो सिर्फ बारिश है” और में मुस्कुरा कर कहता “जहाँ भी जाएँगे साथ जाएँगे”…लेकिन ज़िन्दगी के बिच सफ़र में ही वो मुझे अकेला छोड़ कर चली गई, अगर दीपू ना होता तो में भी कबसे उसके पास चला गया होता…
सोचते-सोचते मेरी आँखों में आंसू आ गए|
लो, हो गया ना जुकाम…देखो आँखों में पानी आ गया..
में मुस्कुराया, और मेरे साथ वो भी…
(संगीता के जाने के बाद आज में पहली बार इस तरह मुस्कुराया था)
घर आने के बाद भी में नीतू के बारे में ही सोच रहा था!
तभी माँ कमरे में आई…
दीपू किसी नीतू आंटी के बारे में बात कर रहा था, ये नीतू कोन है ??
(माँ ने उत्सुकता से पूछा)
कोई नहीं है, माँ…अब आप सपने बुनना शुरू मत करो!
(कहकर मेने माँ की बात को टाल दिया)
ठीक है कोई बात नही, पर मेरे बारे में नहीं तो कम से कम दीपू के बारे में सोच!
(इतना कहकर माँ चली गई)
में रात भर दीपू और नीतू के बारे में सोचता रहा, मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था! में बस यही सोच रहा था, कि क्या नीतू दीपू को एक माँ का प्यार दे पाएगी|
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बहुत सुन्दर , प्रेरणादायक कहानी
धन्यवाद!!
Bahut acchi kahani hai……kafi acchi kahani likhte hain aap……..
बहुत बहुत धन्यवाद, आपका साथ ही हमें प्रेरणा देता है!
Bohat hi acchi kahani hai. Interesting stories.
thank you Pratibodh
बहुत ही अच्छी कहानी शेयर की है इसी तरह के आर्टिकल लाते रहिये
बहुत बहुत धन्यवाद शीतल जी!
Hi, Mohit rathore bhut achi story thi yeh.esehi achi achi stories likhte rahiye.
Thank you very much Deepak Pareek.
Sir ! आपने बहुत ही अच्छी कहानी शेयर किया है । सच कहूँ ! तो एक दम से दिल को छू गया ।
आप ऐसे ही बेहतरीन कहानियां शेयर करते रहे , मुझे आपकी हर कहानी का wait रहता है।
Thank you Avinash…aapki blog Bhim Kavi Shandar hai, aap ek din zarur Safal honge…
Sir kya main is kahani ko apne Instagram pr post kr sakta hu. Main aapke website ka naam bhi dal dunga. Aap ki izazat ho to post kru.
Bilkul aap hamari website ke credit ke sath ise instetagram par post kar sakte hen.
Wah dil ko su liya
….or bhi story likhte rahiye sir..
बहुत बहुत धन्यवाद Pintu Bhai Kalma
such a great story, nice content
Very nice post sir…
जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद|
hello sir if you allow me to can i post your story in my youtube channel with your website credit..
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