उपकार-Moral Story
अगर दिल से किसी की मदद की जाए तो तो चाहे वन इन्सान हो या जानवर, कोई भी आपका किया गया उपकार नहीं भूलता! पेश है इसी पर आधारित एक रचना उपकार-Moral Story…
बात कई साल पुराणी है| किसी राज्य में एक चोर था, जो राज्य के कई घरों में चोरियां कर चूका था| चोरियों की हद तो तब हो गई जब उसने एक दिन राजा के महल में पहुँच कर रानी का नो-लक्खा हार चुरा लिया| अब तो राजा के सिपाही उसे पकड़ने के लिए हाथ धो कर उसके पीछे पड गए| सिपाहियों से बचने के लिए वह जंगल की और भाग गया| कई दिनों तक जंगल में घूमते हुए उसे एक दिन किसी के कराहने की आवाज़ सुने दी| उसने देखा थोड़ी दूर पर ही एक शेर घायल अवस्था में लेटा हुआ है, वह थोडा पास गया तो उसने देखा की शेर को एक तीर लगा हुआ है और इसी कारण से उसे शेर के जोर-जोर से कराहने की आवाज़ आ रही है| शेर को इस अवस्था में देख उसके अन्दर का इन्सान जाग गया और हिम्मत कर वह शेर के पास पहुंचा, उसने शेर के पैर को अपने हाथो में लेकर उसका कांटा निकल दिया और जल्दी से पेड़ के ऊपर चढ़ गया| शेर ने कृतज्ञता के भाव से उसकी और देखा और चला गया|
इस बात को कई साल बित गए| राजा के सिपाहियों ने एक दिन चोर को पकड़ लिया| उस दिनों अपराध करने वाले अपराधी को दंड में पुरे राज्य के सामने भूके शेर के सामने छोड़ दिया जाता था, ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह का अपराध करने की हिम्मत ना कर पाए| चोर को भी दंड में यही सजा मिली|
संयोग की बात यह थी, कि चोर के सामने वही शेर छोड़ा गया था जिसका कांटा सालों पहले जंगल में उस शेर ने निकाला था| शेर उसके सामने आया और, अरे यह क्या हुआ! चारों और लोग खड़े होकर, आश्चर्य से आँखे फाड़कर देखने लगे| लोगों का सोचना था की शेर थोड़ी देर में ही उस चोर का काम तमाम कर देगा लेकिन शेर उस
चोर के पास आया, उसकी और देखने लगा और किसी पालतू कुत्ते की तरह उसके पैर चाटने लगा| यह बात जब राजा को पता चली तो उसने उस चोर को अपने दरबार में बुलाया और स-सम्मान उसे उसके साहस के लिए सेना प्रमुख बना दिया| देखते ही देखते अनजाने में किये गए एक “उपकार” ने उस चोर को अपराध की दुनिया से उठा कर राज्य का सेना प्रमुख बना दिया|
Bhut hi sudar tarike se likha hai apne.aise hi likhte Rahe aur apni likhne ke jadu se hum sab ko sikhate Rahe.
Bahut Bahut Shukriya