बाज की उड़ान | Baaj Ki Udan Moral Stories in Hindi
Baaj Ki Udan Moral Stories in Hindi
एक राज्य में एक राजा अपनी प्रजा के साथ रहता था| राजा का राज्य ऐश्वर्य, धन-धान्य से भरपूर था| लेकिन फिर भी राज्य में हमेशा अशांति फैली रहती थी| राजा राज्य में फैली अशान्ति से हमेशा परेशान रहता था|
एक दिन राजा ने राज्य के सभी साधू-संतों की एक सभा बुलाई, और सभी साधू-संतो से राज्य में फैली अशांति का उपाय पूछा| सभी-साधू संतो ने आपसी सहमती से राजा को एक उपाय बताया| साधू महात्मा ने बताया की अगर राजा अपने महल में दो बाज के बच्चों को पाले तो राज्य में फैली अशांति दूर हो सकती है| साधुओं की बात मानकर राजा ने अपने सैनिकों को बाज के बच्चों को महल में लेन का आदेश दिया|
बाज के दोनों बच्चों को पलने के लिए राजा ने एक आदमी को महल में नियुक्त कर दिया| कुछ समय बाद जब राजा को राज्य में फैली अशांति दूर होते हुए नहीं दिखी उसे बाज के उन दो बच्चों को देखने की इच्छा हुई| राजा जब बाज के बच्चों को देखने गया तब तक बाज के वह बच्चे बड़े हो चुके थे| राजा ने बाज के बच्चों को पालने के लिए नियुक्त किए गए आदमी से कहा, कि वह इन बच्चों को उड़ते हुए देखना चाहता है| राजा की बात सुनकर उस आदमी ने बाज के उन बच्चो को उडा दिया|
राजा ने देखा, कि बाज के उन बच्चों में से एक बच्चा तो आसमान में काफी ऊपर तक उड़ रहा था, लैकिन दूसरा बाज थोड़ी देर आसमान में उड़ता और फिर आकर एक पेड़ पर बेठ जाता| राजा ने बाज की देखरेख में नियुक्त आदमी से इसका कारण पूछा तो उसने बताया किन यह बाज शुरू से ही एसा करता है| कुछ देर आसमान में उड़ने के बाद यह बाज आकर वापस पेड की इस डाल पर आकर बेठ जाता है और इस डाल को छोडता ही नहीं है|
अगले दिन राजा ने पुरे राज्य में ऐलान करवा दिया, कि जो भी इस बाज को आसमान में दूर तक उड़ना सिखा देगा उसे मुह माँगा इनाम दिया जाएगा| बाज को उड़ना सिखाने के लिए पुरे राज्य से कई सारे लोग आए लेकिन बाज का रवैया जो का त्यों रहा| बाज कुछ देर आसमान में उड़ता और फिर आकर पेड की उसी डाल पर बेठ जाता|
एक दिन राजा ने देखा की दूसरा बाज भी पहले बाज के साथ आसमान में ऊँचा उड़ रहा था| दोनों बाजों को आसमान में एक साथ उड़न भरते देख रजा बहुत खुश हुआ| राजा ने अपने सैनिको को पता लगाने का आदेश दिया की किसने यह कारनामा कर दिखाया है|
सैनिकों ने पता लगाया, कि वहा व्यक्ति एक किसान है जिसने बाज को उड़ना सिखाया है| राजा ने किसान को महल में उपस्थित होने का हुक्म दिया| अगले दिन किसान राजा के महल में उपस्थित हुआ| राजा ने किसान से पूछा की कैसे उसने उस बाज को उड़ना सिखा दिया|
किसान ने बड़ी विनम्रता पूर्वक कहा, कि “महाराज मैंने धयान दिया की बाज रोज एक ही डाल के ऊपर आकर वापस बेठ जाता था इसलिए मैंने वह डाल ही काट दी जिस पर बाज बार-बार आकर वापस बेठ जाता था|”
किसान की बात सुनकर राजा को अपने अपने राज्य की अशांति का कारण पता चल गया|
तो भाई लोग कहानी का तर्क यही है, कि अपने अन्दर की बुरी आदत को पहचाने और उस डाल की तरह ही अपने अन्दर की कमी को काट कर फैक दें|
“बाज़” ऐसा पक्षी जिसे हम ईगल भी कहते है। जिस उम्र में बाकी परिंदों के बच्चे चिचियाना सीखते है उस उम्र में एक मादा बाज अपने चूजे को पंजे में दबोच कर सबसे ऊंचा उड़ जाती है।
पक्षियों की दुनिया में ऐसी Tough and tight training किसी भी ओर की नही होती।
मादा बाज अपने चूजे को लेकर लगभग 12 Kmt. ऊपर ले जाती है। जितने ऊपर आधुनिक जहाज उड़ा करते हैं और वह दूरी तय करने में मादा बाज 7 से 9 मिनट का समय लेती है।
यहां से शुरू होती है उस नन्हें चूजे की कठिन परीक्षा। उसे अब यहां बताया जाएगा कि तू किस लिए पैदा हुआ है? तेरी दुनिया क्या है? तेरी ऊंचाई क्या है? तेरा धर्म बहुत ऊंचा है और फिर मादा बाज उसे अपने पंजों से छोड़ देती है।
धरती की ओर ऊपर से नीचे आते वक्त लगभग 2 Kmt. उस चूजे को आभास ही नहीं होता कि उसके साथ क्या हो रहा है। 7 Kmt. के अंतराल के आने के बाद उस चूजे के पंख जो कंजाइन से जकड़े होते है, वह खुलने लगते है।
लगभग 9 Kmt. आने के बाद उनके पंख पूरे खुल जाते है। यह जीवन का पहला दौर होता है जब बाज का बच्चा पंख फड़फड़ाता है।
अब धरती से वह लगभग 3000 मीटर दूर है लेकिन अभी वह उड़ना नहीं सीख पाया है। अब धरती के बिल्कुल करीब आता है जहां से वह देख सकता है उसके स्वामित्व को।
अब उसकी दूरी धरती से महज 700/800 मीटर होती है लेकिन उसका पंख अभी इतना मजबूत नहीं हुआ है की वो उड़ सके।
धरती से लगभग 400/500 मीटर दूरी पर उसे अब लगता है कि उसके जीवन की शायद अंतिम यात्रा है। फिर अचानक से एक पंजा उसे आकर अपनी गिरफ्त मे लेता है और अपने पंखों के दरमियान समा लेता है।
यह पंजा उसकी मां का होता है जो ठीक उसके उपर चिपक कर उड़ रही होती है। और उसकी यह ट्रेनिंग निरंतर चलती रहती है जब तक कि वह उड़ना नहीं सीख जाता।
यह ट्रेनिंग एक कमांडो की तरह होती है। तब जाकर दुनिया को एक बाज़ मिलता है अपने से दस गुना अधिक वजनी प्राणी का भी शिकार करता है।
हिंदी में एक कहावत है… “बाज़ के बच्चे मुँडेर पर नही उड़ते।”
बेशक अपने बच्चों को अपने से चिपका कर रखिए पर उसे दुनियां की मुश्किलों से रूबरू कराइए, उन्हें लड़ना सिखाइए। बिना आवश्यकता के भी संघर्ष करना सिखाइए।
वर्तमान समय की अनन्त सुख सुविधाओं की आदत व अभिवावकों के बेहिसाब लाड़ प्यार ने मिलकर, आपके बच्चों को “ब्रायलर_मुर्गे” जैसा बना दिया है जिसके पास मजबूत टंगड़ी तो है पर चल नही सकता। वजनदार पंख तो है पर उड़ नही सकता क्योंकि “गमले_के_पौधे और जंगल के पौधे में बहुत फ़र्क होता है।”
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