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Bacchon ki Kahani

आदरणीय पाठकगण, Hindishortstories.com के इस अंक में हम आपके लिए लेकर आएं हैं “Bacchon ki Kahani | बच्चों की कहानियाँ” जिन्हें आप पढ़कर अपने बच्चों को सुना सकते हैं जिससे उनके जीवन में सकारात्मक विचार बढ़ेंगे और बच्चों का सर्वांगीण विकास होगा।


इसी कड़ी में पेश है हमारी पहली कहानी

Bacchon ki Kahani – दाई मा

एक गाँव में एक बूढी दाई माँ रहती थी। दाई मां का असली नाम यशोदा था। दाई मांअपने काम में इतनी होशियार थी कि बड़े-बड़े डॉक्टर  भी उनको हाथ जोड़कर नमस्ते करते थे। दाई मां यूपी के मथुरा शहर के पास छोटे से गांव की रहने वाली थी।

बचपन में एक महामारी में दाई मां के माता पिता का स्वर्गवास हो गया था। इस दुनियां में दाई मां का केवल एक छोटा भाई था।

दाई मां ने अपने छोटे भाई को मां-बाप दोनों का प्यार  दिया था और उसे पढ़ा लिखा कर एक कामयाब आदमी बना दिया था। दाई मां ने अपना सारा जीवन अपने छोटे भाई को समर्पित कर दिया था।
सही समय देखकर दाई माँ ने अपने छोटे भाई का अच्छे परिवार में विवाह किया। छोटे भाई का नाम कन्हैया था। दाई मां अपने काम में इतनी होशियार थी कि उनके गांव और आस-पास के गांव मैं उनका नाम और सम्मान था।
लोग दूर-दूर से उनके पास आते थे। लड़का पैदा हो या लड़की दाई मां को सब दिल खोलकर उपहार दिया करते थे। छोटे भाई की शादी के बाद दाई मां के दुख के दिन शुरू हो गए।
छोटा भाई अपनी पत्नी का गुलाम बन गया। उसकी पत्नी दाई मां से नफरत करती थी वह पति की संपत्ति में दाई मां को हिस्सा नहीं देना चाहती थी।
दाई मां कृष्ण भगवान की सच्ची भक्त थी। इसलिए वह जन्माष्टमी से 1 दिन पहले मथुरा के कृष्ण मंदिर में जाती थी और जन्माष्टमी के दूसरे दिन घर आती थी। इसी बात का फायदा उठाकर दाई मां का छोटा भाई अपनी पत्नी के कहने से गांव की सारी संपत्ति बड़ा मकान बेचकर पत्नी के साथ शहर भाग जाता है।
गांव वाले दादी मां का सम्मान करते थे इसलिए पूरा गांव मिलकर दाई मां को एक छोटा सा मकान बनाकर रहने के लिए दे देते है। किसी ना किसी के घर से दाई मां के लिए खाना तो आ ही जाता था दाई मां बूढ़ी होने लगी थी इस वजह से बीमार रहती थी।
दाई मां के जीवन में अकेलापन था। एक गिलास पानी पीने तक के लिए दाई मां को दूसरे के सहारे की जरूरत पड़ने लगी थी। सर्दी की रात दाई मां का कोई दरवाजा खटखटाता है।
दाई मां जैसे ही दरवाजा खोलती है एक आदमी उसके पैरों में गिर जाता है बोलता दाई मां मेरे साथ चलो मेरी पत्नी को बच्चा होने वाला है, आस-पास कोई डॉक्टर नहीं मिल रहा। मुझे पता है आप बहुत होशियार हो आप मेरी पत्नी की जान बचा सकती हो।
दाई मां बीमार थी फिर भी उस पर तरस खाकर उसके साथ चल देती है उस आदमी की पत्नी दाई मां की सहायता से एक बहुत सुंदर सी लड़की को जन्म देती है वह आदमी खुश होकर दाई मां को बहुत सा उपहार देता है और पैसे देता है और बोलता है दाई मां आज की रात में आप की दावत करूंगा और सुबह जल्दी आपके गांव छोड़ दूंगा।
उसी रात उस आदमी के आंगन के कोने में एक कुत्तिया सुंदर बच्चों को जन्म देती है उन बच्चों में एक बच्चा बहुत सुंदर था बिल्कुल काले रंग का दाई मां को कुत्ते का बच्चा पसंद आ जाता है और उस आदमी से बोलकर उस कुत्ते के बच्चे को पालने के लिए अपने घर ले आती है।
उस कुत्ते के बच्चे का नाम भीम रखती है देखते-देखते भीम कुत्ता बड़ा हो जाता है पूरे गांव और आसपास के इलाके में भीम कुत्ते जैसा मजबूत हट्टा कट्टा कुत्ता नहीं था।
गांव के लोग भी भीम कुत्ते को प्यार करने लगे थे क्योंकि भीम कुत्ता गांव की गाय भैंसों को चुगाने ले जाता था और शाम को इकट्ठा करके उनको घर लाता था और गांव में भीम कुत्ते की वजह से कोई चोर भी घुसने की हिम्मत नहीं करता था।
किसी खूंखार जंगली जानवर को भी भीम गांव में घुसने नहीं देता था भीम कुत्ते की वजह से दाई मां के जीवन का अकेलापन दूर हो गया था।
दिवाली का त्यौहार था दाई मां के मन में शहर घूमने और शहर से कुछ सामान लाने का विचार आता है। दाई मां और भीम कुत्ता जैसे ही शहर पहुंचते हैं शहर में एक स्थान को पुलिस और सेना ने घेर रखा था क्योंकि कुछ आतंकवादियों ने एक बस के यात्रियों को बंदी बना रखा था।
आतंकवादियों की मांग थी अपने साथी को छुड़वाने की। भीड़ देखकर दाई मां और भीम कुत्ता भी देखने लगते हैं बस में से एक महिला दाई मां को आवाज लगाती है दीदी हमारी जान बचा लो फिर एक आदमी दूसरी खिड़की से निकलकर आवाज लगाता है मेरी प्यारी बहन मेरी और मेरी पत्नी की जान खतरे में है हमें बचा लो और तेज तेज रोने लगता है।
भीम कुत्ता यह सब देख रहा था वह समझ जाता है यह कोई दाई मां का प्यार करने वाला है और हमारा ही सगा संबंधी है इसलिए भीम कुत्ता बिना सोचे समझे उन आतंकवादियों पर हमला कर देता है भीम कुत्ता चतुर, निडर और ताकतवर था।
वह उस आतंकवादी पर हमला करता है जिसने ड्राइवर को बंदी बना रखा था। फिर दूसरे आतंकवादियों को धराशाई कर देता है। दो आतंकवादियों को मौका देखकर पुलिस और सेना पकड़ लेती है और सारे आतंकवादी पकड़े जाते हैं।
बस को मुक्त करा लेते हैं। बस के अंदर जो औरत और आदमी थे वह दाई मां का छोटा भाई और उसकी पत्नी थी। छोटा भाई और उसकी पत्नी दाई मां के पैर पकड़ लेते हैं और माफी मांगते हैं। दाई मां उनको माफ कर देती है।
जनता पुलिस के बड़े अफसर और सेना भीम कुत्ते की बहादुरी से बहुत खुश हो जाते हैं उसको सरकार की तरफ से उपहार दिलवाते हैं जनता, मीडिया, पुलिस और सेना की सिफारिश पर भीम कुत्ते को पुलिस मैं सरकारी नौकरी मिल जाती है।
आप पढ़ रहें हैं Bacchon ki Kahani – दाई मा
दाई मां अपने इष्ट देव कृष्ण भगवान को धन्यवाद बोलती है भीम कुत्ते को जब महीने में तनख्वाह मिलती थी तो वह अपनी दाई मां को साथ लेकर जाता था दाई मां की धोती पकड़कर पुलिस के बड़े अफसरों के सामने कर देता था। पुलिस के अफसर समझ गए थे भीम कुत्ता अपनी तनख्वाह दाई मां के हाथ में रखना चाहता है।
दाई मां समझदार और बुद्धिमान थी। भीम कुत्ते की तनख्वाह से पैसा बचाकर वह पहले एक गाय खरीदती है फिर दूसरी धीरे-धीरे उनके पास बहुत सी गाय हो जाती है।
दाई मां गाय का दूध बेचने का धंधा शुरू कर देती है। दूध का धंधा इतना बढ़ जाता है कि उनका डेरी फार्म बन जाता है। जो भी पैसा आता था दाई मां उसमें से आधा गरीबों को खाना खिलाने में, लड़कियों की शादी में और अनाथ आश्रमों में दान, वृद्ध आश्रम आदि जगहों पर दान कर देती थी।
दाई मां ऐसे ही धर्म पुण्य के काम करती थी। अब दाई मां के जीवन में कृष्ण भगवान की वजह से और भीम कुत्ते के प्यार की वजह से नई खुशियां और नई ताजगी आ गई थी।
 कहानी की शिक्षा – ईश्वर अच्छे के साथ अच्छा करता है और बुरे के साथ बुरा

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