कुछ भूल गए अपने-Sad Shayri in hindi था शाम का आलम, थी सर्द हवाएं… था घोर अँधेरा, थी सुर्ख फिजाएं! हर जश्न में शामिल, थी कोई कमी सी… हर रात में शामिल, थी कोई नमी सी! कोई रात थी गुज़री, था यादों का पहरा… पर दिल में बसा था, सिर्फ …
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