साथियों नमस्कार, आज हम आपके लिए दो दोस्तों की एक ऐसी कहानी “Moral Story in Hindi | नज़रिया-कहानी दो दोस्तों की” लेकर आएं हैं जिसे पढ़कर आपको इन्सान की सोचा और उसके लक्ष्य के प्रति नज़रिए को समझने का मौका मिलेगा|
Moral Story in Hindi | नज़रिया-कहानी दो दोस्तों की
यह कहानी है उन दो दोस्तों की जिन्होंने एक साथ अपने करियर (Career) की शुरुआत की लेकिन 10 साल बाद दोनों अलग-अलग मुकाम पर पहुंचे|
एक गाँव में दो दोस्त रामलाल और श्यामलाल रहते थे| दोनों पढ़े लिखे ना होने के कारण अभी तक बेरोजगार थे| उनका गाँव गंगा नदी से पञ्च किलोमीटर दूर था|
गाँव के नदी से दूर रहने के कारण गाँव में पानी की कमी थी, लिहाज़ा दोनों ने नदी से पानी ला कर गाँव में बेचने की योजना बनाई| अगली सुबह दोनों बड़े-बड़े बर्तन ले कर नदी की और निकल गए और गाँव में आकर पानी बेचने लगे|
गाँव में कुछ साहूकार थे जिन्होंने रोज़ पानी के बदले दोनों को अच्छा पैसा देना शुरू कर दिया| अब रामलाल और श्यामलाल दोनों रोज़ सुबह-सुबह नदी से पानी लाते और गाँव के चौराहे पर खड़े होकर बेच देते|
रामलाल और श्यामलाल दोनों की ज़िन्दगी अब अच्छी काटने लगी| रामलाल और उसका परिवार बहुत खुश था लेकिन श्यामलाल खुद का कोई व्यवसाय करना चाहता था| लिहाज़ा श्यामलाल ने कुछ अलग करने के मन से पैसे जोड़ना शुरू कर दिए|
2 साल बाद श्यामलाल ने अपने जोड़े हुए पैसो से गंगा नदी से उसके गाँव तक एक पाइपलाइन का निर्माण करवा दिया और पाइपलाइन से एक नल जोड़कर चौराहे पर लगा दिया| अब श्यामलाल को रोज़ सुबह नदी तक बर्तन लेकर नहीं जाना पड़ता|
रोज़ सुबह वह चौराहे पर खड़ा होकर नल चलाता और ढेर सारा पैसा कमाता| लेकिन श्यामलाल अभी भी रोज़ नदी से ही पानी भरकर लाता और गाँव में बेचता|
अगले पांच सालों तक रामलाल ने आसपास के सभी गाँवो में एक-एक पाइपलाइन लगा दी और हर नल पर एक व्यक्ति को नियुक्त कर दिया| अब रामलाल अपने घर पर परिवार के साथ समय बिताता था लेकिन श्यामलाल अभी भी नदी से सुबह-सुबह पानी भर कर लाता|
समय के साथ दोनों के शरीर ने जवाब देना शुरू कर दिया| अब रामलाल के पास पैसों की तंगी आने लगी लेकिन वहीँ श्यामलाल ने एक ऐसा सिस्टम बना दिया था की अब उसे घर बेठे आमदनी हो रही थी|
कहानी का तर्क यह है की रामलाल और श्यामलाल दोनों एक एक साथ एक ही काम को शुरू किया था लेकिन श्यामलाल के काम को करने और देखने का नज़रिया अलग था| इसीलिए आज श्यामलाल ज़िन्दगी के आखरी पड़ाव में भी खुश था|
नज़रिया-कहानी दो दोस्तों की | Moral Story in hindi
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