Sad Shayari in Hindi | हिंदी शायरी
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Sad Shayari in Hindi | हिंदी शायरी
कुछ तो कमी सी रह गई कहीं,
मेरी बन्दगी में जरूर,
इतना इबादत के बाद भी खुदा रुठ जाए,
ये मुमकिन नहीं!!
मेरे दिल में तू ही तू है दिल की दवा क्या करूँ
दिल भी तू है जाँ भी तू है तुझपे फ़िदा क्या करूँ
बहुत उदास है कोई तेरे जाने से,
हो सके तो लौट आ किसी बहाने से!
तू लाख खफा सही मगर एक बार तो देख,
कोई टूट गया है तेरे रूठ जाने से!!
हजारों महफ़िलें हैं और लाखों मेले हैं,
पर जहाँ तुम नहीं वहां हम अकेले हैं!!
ए खुदा हमें तो आदत है ऐसे जीने की,
बस उन्हें फरिश्तों की महफ़िल का हिस्सा बना दे!
दस्तूर है तो थोडा रो लिए होंगे,
लोग तुम्हारे गम में शरिक थोड़ी है!
मुझे समझना तेरे बस की बात नहीं,
सोच बुलंद कर या सोचना छोड़ दे!!
बहुत है कमियाबियाँ, बहुत हारे भी हैं हम!
हम ग़मों के सहारे हैं और हमारे सहारे भी है गम!!
सुनों, बहुत याद आ रहे हो तुम.
कोई ऐसी दुआ करो…
कोई हादसा हो जाए हमारे साथ,
और हमारी याददाश्त चली जाए!!
जब हम भी आपकी दुनियां से जाएँगे,
इतनी खुशियाँ और अपनापन दे जाएँगे!!
जब भी याद करोगे इस पागल को,
हस्ती आँखों से भी आंसू निकल आएँगे!!
कितना खुबसूरत वहम है न मेरा,
की तुम जहाँ भी हो सिर्फ मेरे हो!!
अब में उन राहों से भी ख़ामोशी से गुज़रता हूँ,
जहाँ सिर्फ तेरे लिए कभी रुक जाया करता था!!
ये भूल है उनकी की आगाज़-ए-गुफ्तगू हम करेंगे,
हम तो वो हैं जो खुद से रूठ जाएँ तो सदियों तक बात न करें!!
तुझे घर से कैसे उठा लाऊ मेरी मज़बूरी समझ,
कल को में भी किसी बेटी का बाप बनूँगा!!
रो-रो के ना इश्क को तमाशा बनाइये,
जीने की आरजू है तो धोखे भी खाइए!!
क़त्ल न करो बस, मुहोब्बत कर के छोड़ दो!
किसी आलिम से पुछ लो, ये भी सजा ए मौत है!!
गुज़र गया दिन अपनी तमाम रौनकें लेकर,
ज़िन्दगी नें वफ़ा की तो कल फिर सिलसिलें होंगे!!
टालने का तरीका उनको आ गया शायद,
अब बात तो करता है पर अपना नहीं लगता!!
वो ज़ालिम मेरी ही शायरी पड़ता है,
मगर… न आह करता है न वाह करता है!
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कभी तोडा, कभी जोड़ा, कभी फिर तोड़ कर जोड़ा!
नाकारा कर दिया तेरी इस पैबन्दकारी ने!!
इरादा क़त्ल का था तो मेरा सर कलम कर देते,
क्यों इश्क में डाल कर तूने, मेरी हर साँस पे मौत लिख दी!!
एक खूबी तो होती है मुफ़लिसी में,
हालत कैसे भी हो, लड़ना सिखा देती है!!
होने लगा है हिसाब, नफे और नुकसान का!
मासूम सी मुहोब्बत अब व्यापार हो गई!!
खामोश तभी होना चाहिए जब कोई ख़ामोशी समझे,
अक्सर खामोशियाँ गलतफहमियां बन जाती है!!
लोग कहते हैं समझो तो खामोशियाँ भी बोलती है,
में अरसे से खामोश हूँ, वो बरसों से बेखबर है!!
अहसास-ए-मुहोब्बत के लिए बस इतना ही काफी है,
तेरे बगैर भी हम तेरे ही रहते हैं!!
कल बहुत दिनों बात उसका कोरा कागज़ आया,
शायर हूँ साहब उसकी लिखी हुई ख़ामोशी पढ़ ली मैंने!!
अगर फितरत हमारी सहने की नहीं होती,
तो हिम्मत तुम्हारी कुछ कहने की नहीं होती!!
तेरी बाहों के सहारे की जरूरत नहीं मुझको ..
रूह से रूह को मिला वरना खुदा हाफिज !!
माना कि उदासियों ने छू लिया है हमें इन दिनों…
फिर भी तुम्हें सोच कर मुस्कुरा लेते हैं हम आज भी..!!
सिसकती हुई ज़िन्दगी का मजा हमसे पूछिये,
मोहब्बत में जो मिली वो सजा हमसे पूछिए,
क्यों फिरते हो उदास तुम इस गम की तलाश में,
गम की हर गली का पता हमसे पूछिए!!
ये भूल हैं उसकी की आगाज- ए- गुफ्तगूं हम करेंगे,
हम तो वो हैं जो ख़ुद से रूठ जाएं तो सदियों तक बात ना करें..
मुहोब्बत तो हर कोई कर लेता है,
मगर इंतज़ार और वफ़ा हर किस के बस की बात नहीं!!
लम्हें फुर्सत के आए तो रंजिशे भुला देना,
किसी को नहीं खबर की सांसों की मोहलत कहाँ तक है!!
सजते संवरते तो तुम पहले भी थे,
शायद दूर होकर मुझसे कुछ ज्यादा संवरने लगे हो!!
ये जो हल्के-हल्के से तुम बदलने लगे हो,
ऐसा तो नहीं है न की खुद को तुम खुदा समझने लगे हो!!
ज़िन्दगी गुज़र रही इम्तिहानों के दौर से,
एक जख्म गुज़रता नहीं और दूसरा आ जाता है!!
किताबों से इश्क कुछ बढ़ सा चला है,
लेकिन कुछ सवालों का जवाब अभी तक ना मिला!!
मुस्कुरा दिए बेवजह ही,लाखो दर्द छुपा कर…
बेंतेहाँ मुहोब्बत के फ़साने अजीब है!!
सारी उम्र तुमको प्यार मिले,
जो दिल में है वो हज़ार बार मिले!
बिछड जाते हैं मिलने के बाद भी लोग,
जो कभी न बिछड़े ऐसा तुमको प्यार मिले!!
कोई ये पूछ रहा था, मैं तुम्हें याद हूँ क्या?
वो ये जानने की कोशिश में था, मैं अब तक बर्बाद हूँ क्या?
उम्मीद कम है कि कोई उम्मीद बाक़ी हो,
मैं ना सही तुझमें, तू ख़ुद में तो बाक़ी हो||
करता नही, अब खुद पे ऐतबार मैं,
तूने वादे जो किये थे मेरी कसम खाके।।
अब तुम ही कहो तुमसे क्या गिला करू,
सोचता हूँ जस्बातो को दूर रख के मिला करू||
बहुत सोचा बहुत चाहा, बहुत ऐतबार किया…
इस तरह मैंने ख़ुद, को गुनहगार किया।।
देखकर वो यूँही मुझे अनदेखा नही करता,
नज़रें फेर लेता है वो मुझे भुलाने के लिए।।
रोता हुआ तू मुझे अच्छा नही लगता ,
अब तो आँसुओ में भी तू मुझे सच्चा नही लगता ।।
तेरे यादों के समंदर से हर रोज़ ये दर्द लेता हूँ,
तेरी बाहों के सहारे कुछ देर सो लेता हूँ।।
हज़ार बातें करने को होती है मगर,
सपने में तुझे पाता हूँ सुबह खो देता हूँ।।
ग़ुरूर बहुत था उसे कोई पा नही सकता।
मैं ख़ुद ही लौट आया उसका गुमान देखकर ।।
वो बेक़सूर निकल गया इश्क़ की अदालत में ,
ख़ुद के क़ातिल साबित हो गए हम उसकी हिफ़ाज़त में ।।
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सिख जाओ वक़्त पर किसी की चाहत की क़द्र करना,
कहीं कोई थक न जाए तुम्हें अहसास दिलाते दिलाते!!
हक़ उतना ही जताइए जितना ज़ायज लगे,
रिश्ता फेरों का हो या मुहोब्बत का, घुटन न लगे!!
अकेले ही तय करने होते हैं कुछ सफर ज़िदंगी के,
हर सफर में हमसफ़र नहीं होते!!
मोहब्बत को ईमान कहता हूं,
हाथ तुम्हारा छोड़ूं तो काफिर कहना
नींद से कह दो यार कोई की दोस्ती कर ले हमसे,
यूँ बेफिजूल किसी की याद में अब जागा नहीं जाता!!
जिसे प्यार करते हैं उसे रोते हुए नहीं देख सकते,
फिर तुम कैसे मेरे हर आँसू की वजह बन गए।
थमा दी थी मुहोब्बत की दौर तुम्हारे हाथों में,
रेशम की थी, कितनी गांठें लगा दी तुमने!!
फसें थे जब दर्द के गहरे समंदर में,
टेरना हमें आता न था और वो डूबना सिखा गए!!
मेरे अल्फाज़ भी अब मुझसे गिला रखते हैं,
उन्हें लगता है मुझ पर तुम्हारे इश्क का नशा शब्दों से ज्यादा है!!
यादों में ही बसर कर जाते है ज़िन्दगी अपनी,
यकीं मानो होते है कुछ सरफिरे भी ऐसे!!
मैं गाँव लौट रहा हूँ बहुत दिनों के बाद
ख़ुदा करे कि… उसे मेरा इंतज़ार न हो!!
हो ना जाये हुस्न की शान में गुस्ताखी कही,
तुम चली जाओ तुम्हे देख के प्यार आता है!!
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था,
कुछ इस तरह बरसात का मौसम अभी आया न था!!
लोग अफ़सोस से कहते हैं की कोई किसी का नहीं,
लेकिन कोई ये नहीं सोचता की हम किसके हुए!!
तुम्ही ने सफ़र करवाया था मुहोब्बत की कश्ती में…
अब नज़रे न फेर, मुझे डूबता हुआ भी देख!!
भ्रम में ना रहना के सभी रिश्ते ख़ास होते है,
आधे से ज़्यादा रिश्ते यहाँ आस्तीन के सांप होते है!!
किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इंतज़ार को तुम्हें,
बेजुबां है इश्क़ मेरा ढूंढ़ता है खामोशी से तुझे।
आखिर क्यों रिश्तों की गलियां इतनी तंग है,
शुरुआत कौन करे यही सोचकर बात बंद है!!
दर्द अगर लिखने से कम होता,
तो ये खुशियाँ मेरी गुलाम होती!!
क्या ज़रूरी है की वो मुजरिम ही हो,
जिनके हक़ में फैसले नहीं होते!!
आँखें रहेंगीं शाम-ओ-शहर मुन्तज़िर तेरी,
आँखों को सौंप देंगे तेरा इंतज़ार हम।
बस यूँ ही उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले,
कब लौट के आते हैं छोड़ कर जाने वाले।
तुमसे बिछड़ने का असर हमपे कुछ ऐसा हुआ,
की अब हर शक्स में तुझे ही ढूंढते हैं!
तुम तो थे नहीं इधर बड़ी सर्द रात थी,
तुम्हें क्या मालूम इस दिल पर क्या गुजरी!
सलवटों के ढेरों निशान थे बिस्तर पर,
तुम्हें क्या पता रात किस जुस्तुजू में गुजरी!!
कुछ उलझनों के सवाल वक़्त पर छोड़ देना चाहिए,
बेशक जवाब देर से मिलेंगे लेकिन बेहतरीन होंगे!!
अधूरे मिलन की आस हैं जिंदगी,
सुख दुःख का एहसास हैं जिंदगी!
फुरसत मिले तो ख्वाबो में आया करो,
आप के बिना बड़ी उदास हैं जिंदगी!!
Sad Shayari in Hindi | हिंदी शायरी
इतनी कमजोर तो नही ही हार मान जाऊ,,
पर मजबूत भी इतनी नहीं कि हँस के टाल जाऊ।
हमने दोस्ती में परवाह की,
वो मुहोब्बत में लुटने लगा!
जब आदत सी होने लगी,
वो हाथ से रेत सा छुटने लगा!!
मैं गाँव लौट रहा हूँ बहुत दिनों के बाद,
ख़ुदा करे कि उसे मेरा इंतज़ार न हो!!
जो जख्म दिए तो राख सरेआम कर देंगे,
ये दिल रूठा है अभी टुटा नहीं!!
घर का आंगन भी अब मिट्टी का ना रहा,
फर्श महंगा तो है पर महकता नहीं बारिश में!!
हमने ऐसी भी क्या खता करदी जो काबिले माफी नही,
तुमको देखा नही है कई दिनो से क्या ये सजा काफी नही!!
एक अजीब सी बेताबी है तेरे बिन,
रह भी लेते हैं और रहा भी नहीं जाता!!
ये कोई शिक़ायत नही तज़ुर्बा हैं दोस्त,
क़दर करने वालो की क़दर नही होती!!
अँधेरे से उजाले की आस लगें बेठे हैं,
कुछ ऐसे रहनुमा है जो हाथ में खंजर छुपाएँ बेठे हैं!!
कैद है खुद की गिरफ्त मे,
कभी कोशिश ही नही की आसमान छूने की!!
धोखा देती है अक्सर मासूम चहरों की चमक,
हर कांच का टुकड़ा अक्सर हीरा नहीं होता!!
जख़्म इतने थे दिल पे की,
हकीम ने इलाज़ में मौत ही लिख दिया!!
काश तुम भी मुझे समझ पाते तो अच्छा था,
में तुम्हे कौर तुम मुझे भूल पते तो अच्छा था!
गिनी हुई सांसें मिली है जनाब, शायद अगली मुलाकात भी न हो,
बस कुछ दिन और यूँ ही साथ रह जाते तो अच्छा था!!
अधूरेपन का मसला जिन्दगी भर हल नहीं होता…
कहीं आँखें नहीं होती, कहीं काजल नहीं होता…
कहानी कोई भी अपनी भला कैसे करे पूरी…
किसी का आज खोया है, किसी का कल नहीं होता…
रहे आदत पसीना पोंछने की आस्तीनों से…
मयस्सर हर घड़ी महबूब का आँचल नहीं होता…
अजब हैं दिल्लगी कि सौ बरस की जिन्दगी में भी..
जिसे दिल ढ़ूंढ़ता है, बस वहीं इक पल नहीं होता…
सभी से तुम लगा लेते हो उम्मीद-ए-वफा लेकिन
लिए पैगाम सावन का हरेक बादल नहीं होता…!!
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