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Prem Mandir Vrindavan

Prem Mandir Vrindavan | मथुरा का प्रेम मंदिर


साथियों नमस्कार, आज के इस अंक में हम आपके लिए लेकर आएं हैं “Prem Mandir Vrindavan | मथुरा का प्रेम मंदिर” के बारे में कुछ खास बातें! जिसे पढ़कर आपको लगेगा की आप मथुरा वृन्दावन की यात्रा पर ही हैं| तो आइये चलते हैं मथुरा वृन्दावन यात्रा पर|


Vrindavan | मथुरा का प्रेम मंदिर

एक प्यार लैला मजनू जैसा जो इतिहास में प्यार के मायने बदल दे,
एक प्यार शाहजहां जैसा जो दुनिया के कुछ चंद अजूबे में खुदको शामिल कर ले,
एक प्यार राम सीता जैसा जो दुनिया को त्याग का मतलब सिखा दे
और एक प्यार राधा कृष्णा जैसा जो एक शहर वृन्दावन को प्रेम नगरी बना दे।।।

राधा कृष्णा की बात करें तो उनका रिश्ता ,उनकी जोड़ी हमारे दिमाग में हमेशा एक सवाल पैदा करता है कि उनकी शादी रुक्मणी से हुई थी फिर भी क्यों राधे-कृष्णा को साथ पूजा जाता है।।।

कृष्ण के साथ, राधा को सर्वोच्च देवी स्वीकार किया जाता है और यह कहा जाता है कि वह अपने प्रेम से कृष्ण को नियंत्रित करती हैं। यह भी माना जाता है कि कृष्ण संसार को मोहित करते हैं, लेकिन राधा “उन्हें भी मोहित कर लेती हैं। इसलिए वे सभी की सर्वोच्च देवी हैं।

कृष्णा जी की बात करें तो सबसे पहले उनका माखन चुराना और उनकी गोपियों के साथ रास लीला याद आती है।।।

भगवान श्रीकृष्ण  की लीला से जुडा हुआ है एक क्षेत्र “वृन्दावन” जो मथुरा से १५ किमी कि दूरी पर है। पुराणों के अनुसार सतयुग में महाराज केदार की पुत्री वृंदा ने श्री कृष्णा को पति रूप में पाने के लिए तप किया था उसके तप से भगवान प्रसन्न हुए इसलिए वृंदा के तपस्थल को वृन्दावन कहते है।। यह स्थान श्री कृष्ण भगवान् के बाल लीलाओं का स्थान माना जाता है।

कृष्ण भगवान से संबंधित मंदिर एवं घाट सभी वृन्दावन में स्थित है। युवास्था से सम्बन्धित मंदिर एवं कुंज, व्रन्दावन में स्थित है। ऐसा माना जाता है की  यह एक ऐसी भूमि है जहाँ आने से सभी पापों का नाश हो जाता है

वृन्दावन का प्राकृतिक सौंदर्य देखने योग्य है। यमुना जी ने इसको तीन ओर से घेरे रखा है। यहाँ के सघन कुंजो में तरह तरह के पुष्पों से शोभित लता तथा ऊँचे-ऊँचे घने वृक्ष मन में रोमांच भरते हैं। बसंत ॠतु के आगमन पर यहाँ की छटा और सावन-भादों की हरियाली आँखों को शीतलता प्रदान करती है।

वृन्दावन का कण-कण रसमय है। यहाँ प्रेम-भक्ति का ही वातावरण है। इसे गोलोक धाम से अधिक बढ़कर माना गया है। यही कारण है कि हज़ारों धर्म-परायणजन यहाँ अपने-अपने कामों से अवकाश प्राप्त कर अपने शेष जीवन को बिताने के लिए यहाँ अपने निवास स्थान बनाकर रहते हैं।

वे नित्य प्रति रासलीलाओं, साधु-संगतों, हरिनाम संकीर्तन, भागवत आदि ग्रन्थों के होने वाले पाठों में सम्मिलित होकर धर्म-लाभ प्राप्त करते हैं। वृन्दावन मथुरा भगवान कृष्ण की लीला से जुड़ा हुआ है। ब्रज के केन्द्र में स्थित वृन्दावन में सैंकड़ो मन्दिर है। जिनमें से अनेक ऐतिहासिक धरोहर भी है।

यहाँ सैंकड़ों आश्रम और कई गौ-शालाऐं है। गौड़ीय वैष्णव, वैष्णव और हिन्दुओं के धार्मिक क्रिया-कलापों के लिए वृन्दावन विश्वभर में प्रसिद्ध है। देश से पर्यटक और तीर्थ यात्री यहाँ आते हैं। सूरदास, स्वामी हरिदास, चैतन्य महाप्रभु के नाम वृन्दावन से हमेशा के लिए जुड़े हुए हैं।

तो चलिए वृन्दावन की यात्रा शुरू की जाए,
वहा के प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन कर अपना जीवन सफल बनाया जाये….

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Prem Mandir Vrindavan | मथुरा का प्रेम मंदिर

यह मंदिर रसिक संत जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की तरफ से कान्हा की नगरी वृन्दावन को तोहफ़ा था। प्रेम मंदिर 125 फुट ऊंचा, 122 फुट लम्बा और 115 फुट चौड़ा है।

भगवान कृष्णा के श्रद्धालुओ की इस मंदिर पर काफी श्रद्धा है। वे इस मंदिर को भगवान कृष्णा के सबसे पवित्र और प्रसिद्द मंदिरों में से एक मानते है।

प्रेम मंदिर दिव्य प्रेम को साकार करता है। दिव्य प्रेम का संदेश देने वाले इस मंदिर के द्वार सभी दिशाओं में खुलते हैं। मुख्य प्रवेश द्वारों पर अष्ट मयूरों के नक़्क़ाशीदार तोरण बनाए गए हैं। पूरे मंदिर की बाहरी दीवारों पर श्रीराधा-कृष्ण की लीलाओं को शिल्पकारों ने मूर्त रूप दिया है।

पूरे मंदिर में 94 कलामंडित स्तम्भ हैं, जिसमें किंकिरी व मंजरी सखियों के विग्रह दर्शाए गए हैं। यहां संगमरमर की चिकनी स्लेटों पर ‘राधा गोविंद गीत’ के सरल दोहे प्रस्तुत किए गए हैं!


Banke Bihari Mandir | बाके बिहारी मंदिर

वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर एक अति प्रसिद्द हिन्दू मंदिर है, जिसे प्रचीन गायक तानसेन के गुरू स्वमी हरिदास जी ने बनवाया था। भगवान कृष्ण को समर्पित इस मंदिर में राजस्थानी शैली की बेहतरीन नक्काशी की गई है।

बांके का शब्दिक अर्थ होता है- तीन जगह से मुड़ा हुआ और बिहारी का अर्थ होता है- श्रेष्ठ। इस आधार पर मंदिर में रखी कृष्ण की मुख्य प्रतिमा प्रसिद्ध त्रिभंगा मुद्रा में है।

माना जाता है बाके बिहारी अपने भक्तों की भक्ति से इतना खुश हो जाते है कि वो स्थान से उठकर उनके साथ चले जाते है इसलिए उन्हें पर्दे में रखकर उनकी क्षणिक झलक ही दिखाई जाती है। यह मंदिर हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना जाता है और यहां हर दिन हजारों श्रद्धालू आते हैं।

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Iskcon Temple Mathura | इस्कॉन मंदिर वृंदावन

1975 में बने इस्कॉन मंदिर को श्री कृष्ण बलराम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर ठीक उसी जगह पर बना है, जहां आज से 5000 साल पहले भगवान कृष्ण दूसरे बच्चों के साथ खेला करते थे।

मंदिर में कई सुंदर चित्रकारी की गई है, जिसमें भगवान कृष्ण की शिक्षा का वर्णन किया गया है।
मंदिर में तीन मुख्य वेदी (जिसपर भगवान को चढ़ाने के लिए सामग्रियां रखी जाती है) है। वहीं दीवारों पर खूबसूरत नक्काशी और पेंटिंग की गई है। भारतीयों से ज्यादा यहां विदेशी पर्यटक अध्यात्म और ज्ञान की प्राप्ति के लिए आते हैं।

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Govind Dev ji Temple | गोविंद देव मंदिर

वृंदावन के सबसे प्राचीन मंदिरों में है शुमार है यह मंदिर ,गोविंद देव का यह मंदिर वृंदावन  के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है।

ऐसा मन जाता है की इस मंदिर की रखवाली भूत करते हैं। इसी के बाद से इसका नाम भूतों का मंदिर रख दिया गया। लोगों का मानना है कि मुगल शासक औरंगजेब की बुरी नजर इस मंदिर पर पड़ गई थी। उसने इसके 4 माले गिरवा दिए। इसके बाद लंबे अर्से तक यहां किसी मूर्ति की स्थापना नहीं हो सकी। लोगों का मानना है कि उसके बाद से मंदिर को भूतों ने अपना अड्डा बना लिया।

मंदिर में एक अद्वितीय वास्तुकला है, जिसमें हिंदू, मुस्लिम और पश्चिमी वास्तुकला शामिल हैं। मुख्य हॉल में छत पर एक सुंदर मूर्तिनुमा कमल है जो देखने लायक है। इस मंदिर को देखने के बाद निश्चित है कि जो कोई भी दर्शन करने का फैसला करता है, वह मोहित हो जाए|


Madan Mohan Temple | मदन मोहन मंदिर

मदन मोहन मंदिर वृंदावन में काली घाट के पास स्थित है। यह इस क्षेत्र के पुराने मंदिरों में से एक है। आज जिस जगह पर मंदिर बना है, वहां पुराने समय में सिर्फ विशाल जंगल हुआ करते थे

दूसरे प्रचीन निर्माणों की तुलना में यह मंदिर थोड़ा छोटा है, लेकिन इसमें की गई नक्काशी बेहद खूबसूरत है। इसे 19वीं शताब्दी में श्री नंदलाल वासु ने बनवाया था। इसका रंग लाल है और यह ऊंचा, लेकिन संकरा है।

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Rang ji Temple Vrindavan | रंग जी का मन्दिर

यह मन्दिर अपनी भव्यता तथा मन्दिर प्रांगण में खड़े 6 फुट सोने के खम्भे के लिए प्रसिद्ध है। मन्दिर का प्रांगण भी बहुत विशाल है। रंग जी मन्दिर का रथ उत्सव, बैकुंठ उत्सव तथा जन्माष्टमी उत्सव देखने योग्य होता है।


शाह जी का मन्दिर

यमुना तट पर बना शाह जी का मन्दिर अपने संगमरमर के खम्भों के लिए प्रसिद्ध है। इसे टेढ़े मेढ़े खम्भों के लिए प्रसिद्ध है। वास्तव में इसका नाम ललित कुंज है। बसंत पंचमी को यहा मेला लगता है।


Seva Kunj Vrindavan | सेवा कुंज

सेवा कुंज को निकुंजवन भी कहते है यहा ताल और कदम्ब का पेड़ है, कोने में एक छोटा सा मन्दिर है। कहा जाता है कि रात्रि में यहा राधा जी के साथ भगवान श्रीकृष्ण विहार करते है। यहा रात्रि में रहना वर्जित है। शाम ढलते ही मन्दिर से सभी जीव जन्तु स्वयं ही अपने आप चले जाते है यह अपने आप में अचरज की बात है।


वंशी चोर राधा रानी का भी है मंदिर | Radha Rani Temple Barsana

निधि वन में ही वंशी चोर राधा रानी का भी मंदिर है। यहां के महंत बताते हैं कि जब राधा जी को लगने लगा कि कन्हैया हर समय वंशी ही बजाते रहते हैं, उनकी तरफ ध्यान नहीं देते, तो उन्होंने उनकी वंशी चुरा ली। इस मंदिर में कृष्ण जी की सबसे प्रिय गोपी ललिता जी की भी मूर्ति राधा जी के साथ है।

प्रसिद्ध मंदिरों के साथ इस पावन भूमि में अनेक घाट भी है जो दर्शनीय है जैसे श्रीवराहघाट,कालीयदमनघाट,सूर्यघाट,युगलघाट,
श्रीबिहारघाट,श्रीआंधेरघाट,चीर घाट और भी अन्य घाट है जहाँ आकर आपका मन मुक्त हो जाएगा

मंदिरो के दर्शन ,और घाट में सैर के बाद
अब बारी है कृष्णा के शहर के कुछ पकवान चखने की

मथुरा और वृंदावन उत्तर प्रदेश के दो पवित्र शहर हैं जिनसे हर भगवान कृष्ण भक्त संबंधित हो सकते हैं। जबकि हम सभी जानते हैं कि दो शहरों को बालगोपाल और राधा रानी को समर्पित मंदिरों के लिए जाना जाता है, हम में से बहुत से लोग इस बात से अवगत नहीं हैं कि पवित्र शहर कई खाद्य कियोस्क और स्टालों का घर हैं जो एक श्रद्धांजलि के रूप में सात्विक भोजन और दूध उत्पादों की सेवा करते हैं।

नंदगोपाल, जिन्हें दूध और दूध से बने उत्पादों के प्रति उनके प्रेम के कारण ‘माखन चोर’ कहा जाता है। यहां उन व्यंजनों की झलक मिलती है, जिन्हें आपको याद नहीं करना चाहिए

लस्सी
मिट्टी के बर्तन में सेवा की जाती है, यहाँ की लस्सी आपको अन्य जगहों पर मिलने वाले स्वाद से कुछ अलग है। शीर्ष पर मलाई की समृद्ध और मोटी परत और तल पर सूखे फलों की एक भारी खुराक इस लस्सी को हमेशा यादगार बनाती है।

माखन मिश्री
वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर में एक ढक्कन के साथ छोटे मिट्टी के बर्तन में प्रसाद के रूप में सेवा की जाती है, इसे बालगोपाल (भगवान कृष्ण) का पसंदीदा माना जाता है। इसमें ताजा मखाने (व्हाइट बटर) और शीर्ष पर मिश्री क्यूब्स शामिल रहते हैं।

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कही घूमने जाओ तो रह जाती है बस यादें
क्यों ना यादों को किन्ही चीजों में समेटा जाए

खरीदारी के बिना यात्रा कभी पूरा नहीं होती है। खरीदारी हमारी यात्रा योजना का एक अभिन्न हिस्सा है। वृंदावन एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है, यहाँ पूजा के कई सामान भी बेचे जाते हैं। वृंदावन में कई संकीर्ण लेन बाजारों में इत्मीनान के साथ टहलें, जहाँ चांदी के गहने, वस्त्र और हस्तशिल्प उत्पादों की बिक्री करने वाली दुकानों की एक पंक्ति दिखाई जाती है।

ये संकरी गलियां और बाज़ारों में एक पुराना विश्व आकर्षण है जो मथुरा, वृंदावन, आगरा और हरिद्वार जैसी जगहों की विशेषता है। । लोई बाज़ार एक और जगह है जहाँ आपको वृंदावन में खरीदारी करते समय जाना चाहिए।

यह इस क्षेत्र से प्राचीन वस्तुओं और लकड़ी के कामों में डूबने के इच्छुक लोगों के लिए एक खजाना है। भक्ति की वस्तुएं जैसे मूर्ति या अगरबत्ती का सामान भी यहां बेचा जाता है। मथुरा और वृंदावन दोनों में पीतल की वस्तुएं काफी सस्ती हैं।

आसपास घूमने वाली जगह

वृन्दावन के साथ साथ उत्तर प्रदेश में ऐसी बहुत जगह है जहाँ आप घूमकर अपनी यात्रा को यादगार बना सकते है जैसे मथुरा,आगरा, वाराणसी,लखनऊ,अलाहाबाद,सारनाथ,विद्यांचल,चित्रकूट,अयोधया आदि है!!!

लेखक:
आयुषी जैन इंदौर  

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