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Heart Touching Story in Hindi

Heart Touching Story in Hindi | भतेरी


समाज अपने आप में एक बहुत बड़ा शब्द है! लेकिन जितना बड़ा यह शब्द है उतनी ही बड़ी-बड़ी कहानियां समाज और सामाजिक प्रथाओं से जुडी हुई है| इन्हीं कुछ सामाजिक प्रथाओं में एक प्रथा है बेटी को बोझ समझना| दहेज़ प्रथा की बड़ी-बड़ी बेड़ियों में जकड़कर समाज आज इतना लाचार हो गया है की जिन बेटियों को समाज लक्ष्मी का रूप समझता था आज वही लक्ष्मी समाज को बोझ लगने लगी है| आज इन्हीं सामाजिक प्रथाओं से औत-प्रोत एक कहानी “Heart Touching Story in Hindi | भतेरी हमारी वेबसाइट के लेखक “सतीश भारद्वाज”  आपके लिए लेकर आएं है|


                    Heart Touching Story in Hindi | भतेरी

भतेरी अपने मजदूर माँ बाप की दो लड़कियों के बाद तीसरी औलाद थी| तीन लड़कियों के पैदा होने से दुखी होकर उसके पिता ने उसका नाम भतेरी रख दिया था| गयाथा | भतेरी का अर्थ था “बहुत” और भतेरी के माता पिता  अब चोथी लाक्द्की नहीं चाहते थे| खैर “भतेरी” का  नाम सार्थक हुआ उसके बाद एक लड़के का जन्महुआ|  लेकिन भतेरी अभी भी एक बोझ ही थी|  जब भतेरी छ: वर्ष की हुई  तभी उसका बाप  मर गया| पिता की मौत के बाद घर में अब उसकी माँ विमला और दादी रज्जो ही थे जो इन चारो भाई बहनों का भरण पोषण कर रहे थे|

भतेरी की दादी रज्जो को आज भी बेटे की मौत से ज्यादा दुःख ये था, की भतेरी का बाप अपने पीछे तीन-तीन लड़कियों को छोड़ गया था| वो अक्सर कहा करती थी “खुद तो मुक्ति पा ली….अब  पता नी मेरी बुलाव कद होगी, कद भगवान इन नरको से मुझे मुकति देगा”|”

भतेरी ने लड़की होने के कारण अपनी  पूरी जिन्दगी अपने परिवार की घ्रणा और दुत्कार ही सही पति की मौत के बाद भतेरी की माँ विमला भी भाव शुन्य हो गयी थी| उसे भी अब अपनी तीनो बेटियां जिम्मेवारी नहीं बोझ ही दिखाई देती थी

जब भतेरी 12 वर्ष की हुई तो उसे ब्लड कैंसर हो गया| डाक्टर ने बताया की काफी रुपया भी लगेगा और परिवार में से ही किसी को अपना मेरुरज्जा (किडनी) देना पड़ेगा|  डाक्टर ने साफ़ कहा था की देने वाले की जान को कोई खतरा नहीं होगा| १२ साल की लड़की के ब्लड कैंसर होने की खबर जैसे ही गाँव वालों को लगी तो भतेरी के लिए गाँव वालों का दिल पसीज गया| घर की माली हालत देख भतेरी के इलाज का पूरा खर्चा गाँव वालों ने उठाने का फैसला किया| लेकिन यहाँ समस्या पैसे की नहीं आ रही थी, ग्रामीण समाज आज भी भावनात्मक समाज है, कई व्यक्ति थे जो भतेरी के इलाज के लिए  पैसा खर्च करने को तैयार थे|  लेकिन इस बोझ के लिए परिवार में कोई भी अपने  शरीर का मज्जा  देने को तैयार नहीं था|  भतेरी की 65 वर्षीया दादी को भी आज  अपनी जिन्दगी के बचे  हुए कुछ वर्ष भतेरी  की जन्दगी से ज्यादा  कीमती लगे| वो लड़की थी इसलिए उसके परिवार के लिए उसकी जिन्दगी बोझ थी|

अपनी बीमारी से घुटती भतेरी आज मर चुकी थी| घर पर काफी लोग जमा थे| सब भतेरी की माँ और दादी को ढाढस बंधा रहे थे, और उनकीगरीबी को कोस रहे थे| आज मृत भतेरी का चेहेरा शांत था| उसने अपनी जिंदगी में बस अपने परिवार की दुत्कार सही थी, और बाद के कुछ समय बीमारी की पीड़ा….. लेकिन आज वो शांत लग रही थी|

क्या इच्छा रही होगी उसकी अंत समय में?

एक बार उसे कहते सुना था “माँ आदमी मरने के बाद अलग-अलग रूप में जनम लेवै है.. कुत्ता, कीड़ा, चूहा या डांगर (पालतू पशु)|  माँ मै तो डांगर या कीड़ा बन जाउंगी  पर आदमी ना बनू| “देखिये जानवरों कु तो पताइ ना होत्ता उनकी औलाद में कौन सा लड़का कौन सी लड़की…आदमियों कुई पता हो यो फर्क तो बस”|

उसका बाल सुलभ मन मानव की इस वृत्ति का प्रतिकार नहीं कर सकता था लेकिन जिन्दगी भर जो घृणा उसने अपने प्रति देखि थी उसे वो जरुर महसूस कर सकती थी|
शायद भगवान उसकी अंतिम इच्छा पूरी कर देगा… उसे मानव नहीं पशु योनी में जन्म देगा|

भतेरी | Heart Touching Story in Hindi
सतीश भारद्वाज
9319125343


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