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Gulzar Shayari

Gulzar Shayari | गुलज़ार शायरी


गुलज़ार का नाम आप सभी ने कभी न कभी कहीं न कहीं ज़रूर सुना होगा| और अगर ना भी सुना हो तो आज हम उनकी लिखी 100 उन चुनिन्दा शायरियों Gulzar Shayari को लेकर आएं हैं जिन्हें पढने के बाद आप गुलज़ार साहब के फेन बन जाएँगे| खैर, गुलज़ार साहब की शायरियों को पढने से पहले थोडा गुलज़ार साहब के बारे में भी जान लेते हैं…

गुलज़ार साहब का जन्म 18 अगस्त 1936 को पंजाब के झेलम जिले के दिन गाँव में हुआ जो की फिलहाल पाकिस्तान में है| गुलज़ार साहब के पचपन का नाम “सम्पूर्ण सिंह कालरा” था जो भी बाद में अपनी लेखनी से “गुलज़ार साहब” के रूप में प्रसिद्द हुए! गुलज़ार साहब अपने नों भाई बहनों में से चौथे नंबर पर थे| बटवारे के बाद गुलज़ार साहब का परिवार अमृतसर आकर बस गया जहाँ से इनकी एक नई ज़िन्दगी की शुरुवात हुई|

जिसके बाद गुलज़ार मुंबई चले आए और यहीं के एक गैरेज में बतौर मैकेनिक काम करने लगे| लेकिन मेकेनिक का काम करते हुए और जीवन के संघर्ष ने उन्हें कवितुओं की और आकर्षित किया और वे कविताएँ लिखने लगे| जिसके बाद उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में उस समय के दिग्गज व्यक्तियों बिमल रॉय, हेमंत कुमार के साथ बतौर सहायक काम करने लग गए| बिमल रॉय के लिए ही गुलज़ार साहब (Gulzar Sahab) ने अपने पहला गीत लिखा था|


Gulzar Shayari | गुलज़ार शायरी

आइये आपको गुलज़ार की शायरियों के मयखाने की और ले चलते हैं जहाँ हम गुलज़ार साहब की 100 लोकप्रिय शायरियों Gulzar Shayari को आपके समक्ष साझा कर रहें हैं! आशा है आपको हमारा यह संकलन पसंद आएगा|

बदल जाओ वक़्त के साथ या वक़्त बदलना सीखो,
मजबूरियों को मतं कोसो, हर हाल में चलना सीखो!


जब भी ये दिल उदास होता है,
जाने कोन दिल के पास होता है!


अब शाम नहीं होती, दिन ढल रहा है…
शायद वक़्त सिमट रहा है!!


हजारों ख्वाब टूटते है, तब कहीं एक सुबह होती है!


वक़्त भी हार जाते हैं कई बार ज़ज्बातों से,
कितना भी लिखो, कुछ न कुछ बाकि रह जाता है!!


कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ,
किसी की आँख में हम को भी इंतज़ार दिखे!!


एक पुराना ख़त खोला जब अनजाने में,
खुशु जैसे लोग मिले अफसाने में!!


हमने अक्सर तुम्हारी राहों में रुक कर,
अक्सर अपना ही इंतज़ार किया!!


जिसकी आँखों में कटी थी सदियाँ,
उसी ने सदियों की जुदाई दी है!!


सफल रिश्तों के बस यही उसूल है,
बातें भूलिए जो फिजूल है!!


महफ़िल में गले मिलकर वह धीरे से कह गए,
यह दुनिया की रस्म है, इसे मुहोब्बत मत समझ लेना!!


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यूँ तो रौनकें गुलज़ार थी महफ़िल, उस रोज़ हसीं चहरों से…
जाने कैसे उस पर्दानशी की मासूमियत पर हमारी धड़कने आ गई!!


कौन कहता है की हम झूंठ नहीं बोलते,
एक बार खैरियत तो पछ के देखिये जनाब!!


धागे बड़े कमजोर चुन लेते हैं हम,
और फिर पूरी उम्र गांठ बंधने में ही निकल जाती है !!


तजुर्बा बता रहा हूँ ऐ दोस्त…दर्द, गम, डर जो भी हो बस तेरे अन्दर है
खुद के बनाए पिंजरे से निकल कर तो देख, तू भी एक सिकंदर है!!


आदतन तुमने कर दीए वादे, आदतन हमने एतबार किया..
तेरी राहों में बारहाँ रुक कर, हमने अपना ही इंतज़ार किया!
अब ना मांगेंगे ज़िन्दगी या रब,
यह गुनाह हमने जो एक बार किया!!


थोडा है थोड़े की ज़रूरत है,
ज़िन्दगी फिर भी यहाँ की खुबसूरत है!!


इतना क्यों सिखाए जा रही हो जिंदगी,
हमें कोनसी यहं ज़िन्दगी गुजारनी है!


आप के साथ हर घडी हमने आप ही के साथ गुजारी है!


तकलीफ खुद ही कम हो गई,
जब अपनों से उम्मीदें कम हो गई!


कभी ज़िन्दगी एक पल में गुज़र झाती है,
कभी ज़िन्दगी का एक पल नहीं गुज़रता!


एक ही ख्वाब ने साडी रात जगाया है,
मेने हर करवट सोने की कोशिश की है!


लगता है ज़िन्दगी आज कुछ खफा है,
खैर छोडिये कौन सी पहली दफा है!


कुछ रिश्तों में मुनाफा नहीं होता,
लेकिन ज़िन्दगी को अमीर बना देते हैं!


नाराज़ हमेशा खुशियाँ ही होती है,
ग़मों के इतने नखरे नहीं है!


शाम से आँख में एक नमी सी है,
आज फिर आप की कमी सी है!


पनाह मिल जाए रूह को जिसका हाथ थामकर,
उसी हथेली पर घर बना लूँ!


पलक से पानी गिरा है तो उसे गिरने दो,
कोई पुरानी तम्मना पिघल रही होगी!


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ज़िन्दगी ये तेरी खरोंचे है मुझ पर,
या तू मुझे तराशने की कोशिश कर रही है!


ऐ हवा उनको खबर कर दे मेरी मौत की,
और कहना कफ़न की ख्वाहिश में मेरी लाश उनके आँचल का इंतज़ार करती है!


एक सपने के टूट कर चकनाचूर हो जाने के बाद,
दुसरे सपन देखने के हौंसले को ज़िन्दगी कहते हैं!


हमने अक्सर तुम्हारी राहों में,
रूककर अपना ही इंतज़ार किया!


बहुत मुश्किल से करता हूँ तेरी यारों का कारोबार,
मुनाफा कम है लेकिन गुज़ारा हो ही जाता है!


साथ-साथ घूमते हैं में और वो अक्सर,
लोग मुझे आवारा और उसे चाँद कहते हैं!


शायर बनन बहुत आसान है,
बस एक अधूरी मुहोब्बत की मुकम्म्मल डिग्री चाहिए!


उनकी यादों से ही खुद को इतना गुलज़ार रखता हूँ,
की तनहाइयाँ दम तौड़ देती है मेरी चौखट पर आकर!


आओ जुबान बाँट ले अपनी-अपनी हम,
न तुम सुनोंगे बात न हमको समझना है!


मेरी ख़ामोशी में सन्नाटा भी है शौर भी है,
तूने देखा ही नहीं, आँखों में कुछ और भी है!


दर्द की भी अपनी एक अदा है,
वो भी सहने वालों पर फ़िदा है!


आँखे थी जो कह गई सब कुछ,
लफ्ज़ होते तो मुकर गए होते!


नज़र झुका के उठाई थी जैसे पहली बार,
फिर एक बार तो देखो मुझे उसी नज़र से!


दवा अगर काम न आए तो नज़र भी उतारती है,
ये माँ है साहब हार कहाँ मानती है!


यूँ तो ऐ ज़िन्दगी तेरे सफ़र से शिकायतें बहुत थी,
मगर दर्द जब दर्ज करने पहुंचे तो शिकायते बहुत थी!


में हर रात साडी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता हूँ,
हैरत यह है की हर सुबह यह मुझसे पहले जाग जाती है!


मेरे दर्द को यूँ ही गुलज़ार रखना मेरे मौला,
ऐसा न हो इन खुशियों की आदत लग जाए!


बे सबब मुस्कुरा रहा है चाँद,
कोई साजिश छुपा रहा है चाँद!


ये खुशभ है गेसुओं की जैसे कोई गुलज़ार है,
की इतर से महका आज पूरा बाज़ार है!


ऐसा तो कभी हुआ नहीं,
गेल भी लगे और छुआ भी नहीं!


सिर्फ शब्दों से न करना,
किसी के वजूद की पहचान…
हर कोई उतना कह नहीं पाता,
जितना समझता और महसूस करता है!!


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मौसम का गुरुर तो देखो,
तुमसे मिल के आया हो जैसे!


थम के रह जाती है ज़िन्दगी,
जब जम के बरसती है पुरानी यादें!


इतने लोगों में कह दो अपनी आँखों से,
इतना ऊँचा न ऐसे बोला करे, लोग मेरा नाम जान जाते हैं!


आज दिल की ज़ेरोक्स निकलवाई,
सिर्फ बचपन वाली तस्वीरें ही रंगीन नज़र आई!


वो चीज जिसे दिल कहते हैं,
हम भूल गए हैं रख कर कहीं!!


हाथ छुटे तो भी रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख से रिश्ते नहीं तोड़ा करते!


जागना भी काबुल है तेरी यादों में रातभर,
तेरे अहसासों में जो सुकून है वो नींद में कहाँ!


मुद्दतें लगी बुनने में ख्वाब का स्वेटर,
तैयार हुआ तो मौसम बदल चूका था!


अगर कसमें सब होती,
तो सबसे पहले खुदा मरता!


रात को भू कुरेद कर देखो,
अभी जलता हो कोई पल शायद!


तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिकवा तो नहीं,
तेरे बिना ज़िन्दगी भी लेकिन जिनगी तो नहीं!


अपने साए से चौक जाते हैं हम,
उम्र गुजरी है इस कदर तनहा!


मेरी ख़ामोशी में सन्नाटा भी है, शौर भी है…
तूने देखा ही नहीं आँखों में कुछ और भी है!


बचपन के भी वो दिन क्या खूब थे,
ना दोस्ती का मतलब था न मतलब की दोस्ती थी!!.


खुशबु जैसे लोग मिले अफसाने में,
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में!


ज़िन्दगी यूँ हुई बरस तन्हा,
काफिला साथ और सफ़र तन्हा!


दिन कुछ ऐसे गुज़रता है कोई,
जैसे अहसान उतारता है कोई…
आइना देख कर तस्सली हुई,
हमको इस घर में जनता है कोई!


कोई पूछ रहा है मुझसे अब मेरी ज़िन्दगी की कीमत,
मुझे याद आ रहा है हल्का सा मुस्कुराना तुम्हारा!


कुछ अधूरे से लग रहे हो आज,
लगता है किसी की कमी सी है!


कभी ज़िन्दगी एक पल में गुज़र जाती है,
कभी ज़िन्दगी का एक पल नहीं गुज़रता!


जिसकी आँखों में कटी थी सदियाँ,
उसी ने सदियों की जुदाई दी है!


जैसे कही रख के भूल गए हो वो,
बेफिक्र वक़्त अब मिलता ही नहीं!


तेरे जाने से कुछ बदला तो नहीं,
रात भी आई थी और चाँद भी , मगर नींद नहीं…


में तो चाहता हूँ हमेशा मासूम बने रहना,
ये जो ज़िन्दगी है समझदार किए जाती है!


खुद से ज्यादा सम्हाल कर रखता हूँ मोबाईल अपना,
क्यों की रिश्ते सारे अब इसी में कैद है!


झूंठे तेरे वादों पर बरस बिताए,
ज़िन्दगी तो काटी बस अब यह रात कट जाए!


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जब मिला शिकवा अपनों से तो ख़ामोशी ही भलीं,
अब हर बात पर जंग हो यह जरुरी तो नहीं!


जख्म कहाँ-कहाँ से मिले हैं छोड़ इन बातों को,
ज़िन्दगी तू तो बता, सफ़र और कितना बाकी है!


देख दर्द किसी और का आह दिल से निकल जाती है,
बस इतनी सी बात तो आदमी को इंसान बनाती है!


मुझको मेरे वजूद की हद तक न जानिये,
बेहद हूँ, बेहिसाब हूँ, बे-इन्तहां हूँ में!


थोड़ा है थोड़े की जरूरत है,
ज़िन्दगी फिर भी यहाँ खुबसूरत है!


कौन कहता है हम झूंठ नहीं बोलते,
एक बार खैरियत पुछ कर तो देखिये!


तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे,
मगर हमारी बेचेनियों की वजह बस तुम हो!


मिल गया होगा कोई गजब का हमसफ़र,
वरना मेरा यार यूँ बदले वाला नहीं था!


मेरी कोई खता तो साबित कर,
जो बुरा हूँ तो बुरा तो सभीत कर!
तुम्हें चाहा है कितना तू जा जाने,
चल में बेवफा ही सही.. तू अपनी वफ़ा तो साबित कर!!


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