Basant Panchami | बसंत पंचमी
साथियों नमस्कार, आज हम आपके लिए “Basant Panchami | बसंत पंचमी” पर एक शानदार आर्टिकल लेकर आए हैं जहाँ आप जानेगे की भारतीय संस्कृति में बसंत पंचमी का क्या महत्त्व है ? क्यों हम बसंत पंचमी मानते हैं ? बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा Saraswati Puja का क्या महत्त्व हैं| सरस्वती पुजन की क्या विधि है ? साथ ही हम जानेंगे बसंत पंचमी पर गाए जाने वाले कुछ गीतों के बारे में|
Basant Panchami | बसंत पंचमी
बसंत पंचमी यानि की प्रकृति के सजने सँवरने के शुरुआत, या फिर यूँ कहें की पकृति के एक नए कलेवर में आने का समय, जब चारों और पीले फूलों की बहार छा जाती है| माना जाता है की इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा अर्चना से विधा की प्राप्ति होती है इसीलिए इस दिन माँ सरस्वती की पूजा पीले फूलों, फलों व् पीले व्यंजनों से की जाती है|
बसंत पंचमी का दिन हर वर्ष माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है| हिन्दू संस्कृति में इस दिन से कई परम्पराएं जुडी हुई है| इसी दिन देवी सरस्वती की पूजा कर नन्हे मुन्हें बच्चों को विद्यारम्भ (प्राथमिक शिक्षा) की प्रक्रिया शुरू कराई जाती है| यानि की इस दिन को बच्चों की शिक्षा आरम्भ करने के लिहाज से भी शुभ माना गया है|
साथ ही विवाह जैसे पवित्र बंधन में बंधने के लिहाज से भी यह दिन शुभ माना गया है| कहा जाता है की इस दिन विवाह बंधन में बंधने वाले युगल उम्र भर एक दुसरे का साथ निभाते हुए ख़ुशी-ख़ुशी अपना जीवन यापन करते हैं|
हिन्दू मान्यताएं
बसंत पंचमी के दिन से कई हिन्दू मान्यताएं जुडी हुई है इसीलिए इस दिन को हिन्दू रीती-रिवाजों के लिए श्रेष्ठ माना गया है| आइये जानते हैं बसंत पंचमी से जुड़े कुछ हिंदी रीती-रिवाजों के बारे में!
- ब्रम्हांड की रचना :- कहा जाता है की महर्षि ब्रम्हा ने ब्रम्हांड की रचना इसी दिन की थी| यानि की सभी जीवों और मानव का जन्म इसी दीन हुआ था|
- सरस्वती पूजा :- यह भी मान्यता है की माँ सरस्वती का प्राकट्य बसंत पंचमी के दिन ही हुआ था| इसीलिए देवी सरस्वती की पूजा का विधान भी इसी दिन है| इस दिन लोग अपने घर, स्कूल व् दफ्तर को पीले रंग के फूलों से सजाते है| माँ सरस्वती को बुद्धि और कला की देवी माना जाता है इसीलिए इस दिन को “सरस्वती पंचमी” के रूप में भी जाना जाता है| इस दिन गुरु के समक्ष बैठकर उनसे शिक्षा ग्रहण करने का शुभारम्भ भी किया जाता है तथा पुस्तकों और वाध्य यंत्रों को देवी के समक्ष रखकर पूजा की जाती है|
- पट्टी पूजन :- बसंत पंचमी को पट्टी पूजन के लिए श्रेष्ठ दिन माना गया है| पट्टी पूजन भारतीय संस्कृति की एक परंपरा है जिसमें नन्हे-मुंहों की कल्पनाओं को कागज पर उतारने की पहली प्रक्रिया की जाती है| जिसके तहत बच्चों को पहली बार पट्टी और पेम पकड़ाई जाती है और बच्चों की उच्च शिक्षा व् बुद्दी की कामना की जाती है| विद्वानों का मानना है की इस दिन बच्चों की जीभ पर शहद से ॐ बनाना चाहिए, इससे बच्चा ज्ञानवान होता है व् शिक्षा जल्दी ग्रहण करने लगता है|
- अन्नप्राशन :- छः माह पुरे हो चुके बच्चों को अन्न का पहला निवाला खिलाने की परंपरा को अन्नप्राशन कहा जाता है| भारतीय मान्यताओं के अनुसार अन्नप्राशन की परंपरा के लिए Basant Panchami का दिन सबसे खास दिन होता है|
- विवाह :- भारतीय परम्पराओं और ग्रंथों के अनुसार बसंत पंचमी का दिन विवाह के लिए सबसे श्रेष्ठतम दिनों में से एक है| इस दिन को परिणय सूत्र में बंधने के लिए सबसे खास दिनों में से एक माना गया है|
इनके साथ-साथ गृह प्रवेश और नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी बसंत पंचमी के दिन को श्रेष्ठ माना गया है|
विभिन्न राज्यों में बसंत पंचमी
कहते हैं की भारत में हर सौ किलोमीटर पर भाषा और खान-पान बदल जाता है| शायद इसीलिए यहाँ की मान्यताएं भी भाषा की तरह अलग-अलग है| खैर, भारत में हर राज्य में मान्यताएं चाहे अलग-अलग हो लेकिन त्योहारों का महत्त्व एक सा है| Basant Panchami उत्सव को लेकर भी भारत में हर राज्य में अपनी अलग-अलग परम्पराएं है! आइये जानते हैं भारत के विभिन्न राज्यों में बसंत पंचमी का महत्त्व…
मध्य प्रदेश व् राजस्थान :- मध्य प्रदेश व् राजस्थान में इस दिन को विद्यालयों में खास तौर पर मनाया जाता है| इस दिन बच्चों को पीले कपडे पहनने, पीले फूलों की माला या फिर फुल लाने को कहा जाता है और फिर विधि विधान के साथ देवी सरस्वती की पूजा की जाती है| संस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसके तहत कई प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की जाती है|
बिहार :- बिहार में बसंत पंचमी के दिन पीले कपडे पहनने के साथ साथ माथे पर पीले रंग का हल्दी का टिका लगाने का भी रिवाज है| इस पर्व को बिहार में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है| इस दिन मिठाई के रूप में हर घर में केसरिया खीर बनाई जाती है| खीर के साथ साथ बूंदी व् बेसन के लड्डू बनाने का रिवाज भी काफी लोकप्रिय है| आज भी बिहार में बसंत पंचमी के दिन मंदिरों में मालपुए का प्रशाद वितरित किया जाता है|
बंगाल :- बंगाल की बोली और यहाँ की मिठाइयों के चर्चे देश-विदेश में होते हैं| बंगाल में नवरात्री उत्सव को देखने देश-विदेश से पर्यटक भारत आते हैं| लेकिन बंगाल में केवल नवरात्री ही धूमधाम से नहीं मनाई जाती वरन बंगाल में हर त्यौहार को अपने अनूठे तरीके में मानाने का रिवाज है| दुर्गा पूजा की तर्ज पर ही बंगाल में सरस्वती पूजा को भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है| इस दिन भी दुर्गा पूजा की तरह ही पंडाल सजाकर देवी सरस्वती की पूजा की जाती है और प्रसाद का वितरण किया जाता है| प्रसाद के रूप में इस दिन बंगाल में बूंदी के लड्डू, खिचड़ी व् केसरी राजभोग बांटा जाता है|
उत्तरकाशी :- उत्तरकाशी में इस दिन घर के मुख्य द्वार पर पीले फुल बांधने का रिवाज है| साथ ही साथ पीले वस्त्र पहन कर, पीले मिष्ठान के साथ माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है| इस दिन घर से सभी सदस्य नहां धोकर माँ सरस्वती की पूजा अर्चना कर बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं|
पंजाब-हरियाणा :- देश के इन दो प्रमुख राज्यों में बसंत पंचमी को मानाने का अपना एक अनूठा रिवाज है| यहाँ बसंत पंचमी के दीन पतंगे उड़ाई जाती है और नृत्य संगीत का आयोजन किया जाता है|
चारों और ख़ुशी और उल्लास का माहोल
बसंत ऋतू में खेतों में फसलें लहलहा उठती है और फुल खिलने लगते हैं| जब खेतों में फासले लहलहा उठती है तो चारों और पीले रंग की बयार छा जाती है| खासतौर पर इस समय सरसों की फसल पर फुल आने लगते हैं|
सरसों के पीले रंगों से छठा निखरती है, जो वसंत शब्द को चरितार्थ करती है| खास तौर पर बसंत पंचमी फूलों के खिलने और फसल के आने का त्यौहार है| बसंत ऋतू सर्दी ख़त्म होने के बाद आती है और इस मोसम में प्रकृति की छठा देखते ही बनती है|
सेहत की दृष्ठि से अगर देखा जाए तो यह मोसम सबसे खास होता है| सर्दी के ख़त्म होने के बाद मोसम में आई थोड़ी सी गर्मी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा कर देती है| इसीलिए इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर स्वास्थ और लम्बी उम्र की कामना की जाती है|
सरस्वती माता पूजन विधि :- Saraswati Puja
वैसे तो भक्ति मन के भाव से की जाती है| शुद्ध मन से आप भगवान् को जो भी अर्पण करते हैं भगवान् उसे सहज ही स्वीकार कर लेते हैं| लेकिन फिर भी हमारी भारतीय संस्कृति में हर देवी देवता की पूजा की अपनी एक अनूठी परंपरा है| माँ सरस्वती के पूजन (Saraswati Puja) के लिए पहले आप पूजा की सामग्री को एक थाल में सजा लें!
पूजन सामग्री :- बैर, शकरकंद, पिला फल या पिली मिठाई, पंचामृत, पञ्च मेवा, गुड, बताशे, लोंग, इलाइची, पान के पत्ते, कसेली, माँ सरस्वती के लीए पीले वस्त्र, अबीर, चन्दन, अक्षत, धुप-अगरबत्ती, घी का दिया, सफ़ेद या पीले फुल
पूजन विधि :- सबसे पहले पूजन वाली जगह पर एक लाल रंग का आसन बिछा ले| माँ सरस्वती की प्रतिमा को आसन पर रखें साथ ही घर में पढने वाले बच्चों की किताबों और पैन को भी पूजन स्थल पर रख दें| इसके बाद माँ सरस्वती को पीले वस्त्र अर्पित करें| जिसके बाद माँ सरस्वती को श्रृंगार सामग्री अप्रीत कर माँ को कुमकुम और अक्षत अर्पित करें|
इसके बाद माँ को हल्दी लगाकर पान के पत्ते को माता के पास रख दे| भोग के प्रशाद को पान के पाते पर रख माँ को भोग लगाए| इसके बाद माता को पुष्प अर्पित करें| माँ को पंचामृत अर्पित कर दीप प्रज्वलन करें व् धुप-अगरबत्ती जलाएं| इसके बाद माँ के समक्ष हाथ जोड़कर माँ की आराधना करें और अपने व् अपने परिवार के उज्जवल भविष्य की कामना करें!
सरस्वती माता की आरती :- Saraswati Mata Aarti
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता
सद्गुण वैभव शालिनी (2) , त्रिभुवन विख्याता…
जय जय सरस्वती माता!
चंद्रवादिनी पद्मसिनी, धृति मंगलकारी,
ओ मैया धृति मंगलकारी,
सोहे शुभ हंस सवारी (2) , अतुल तेजधारी
जय जय सरस्वती माता!
बाएँ कर में विणा, दाएं कर में माला
ओ मैया दाएं कर में माला
शीश मुकुट मणि सोहे (2) , गल मोतियन माला
जय जय सरस्वती माता!
देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया
ओ मैया उनका उद्धार किया
पैठी मंथरा दासी (2) , रावण संहार किया…
जय जय सरस्वती माता!
विद्या ज्ञान प्रदाइनी, ज्ञान प्रकाश भरो
ओ मैया ज्ञान प्रकाश भरो,
मोह अज्ञान तिमिर का (2) , जग से नाश करो
जय जय सरस्वती माता!
धुप, दीप, फल मेवा..माता स्वीकार करो
ओ मैया स्वीकार करो,
ज्ञान चक्षु दे माता (2) , जग निस्तार करो…
जय जय सरस्वती माता!
माँ सरस्वती जी की आरती, जो कोई नर गावे..
ओ मैया जो कोई नर गावे…
हितकारी सुखकारी (2) , ज्ञान भक्ति पावे..
जय जय सरस्वती माता!
Saraswati Mata Aarti को youtube पर सुनने के लिए यहाँ लिक्क करें!
बसंत पंचमी पर कविता :- Basant Panchami Poem
“लो बसंत का मौसम आया”
लो बसंत का मौसम आया,
खुशियाँ झोली भर कर लाया!
हरियाली पेड़ों पर छाई,
खेतों में फसलें लहराई!
वन पलाश के दहक उठे हैं,
फुल बाग़ में महक उठे हैं!
मह-मह करता है जग सारा,
है बसंत हम सब का प्यारा!!
कलियों ने घूँघट है खोले,
हर फुल पर भंवरा डोले!
तोते उड़ते मैना गाती,
बुलबुल मीठी तान सुनाती!
झुमके अमलताश फूलों के,
पट पीले पुष्पित सरसों के!
फुल मटर का लगा केश में,
दुल्हन सी धरती सुवेश में!!
सबको बना रहा यह ताजा,
है बसंत ऋतुओं का राजा!!
Basant Panchami
“बसंत ऋतू आई”
दिन को सूरज लगा चमकने,
हवा लगी है अब सर-सर बहने!
पत्ते पीले पड़े पेड के,
झरने हवा संग है उड़ते!
ऋतू वसंत का स्वागत करने,
नई कोंकले सजी है पेड पर!
सेमल खिलता लाल फुल से,
टेसू फुला डाल-डाल पर!
कोयल पंचम सुर में गाती,
मीठा मंगल गाना सुनाती!
कुक-कुक कर डाली-डाली,
सबके कानों में कह जाती!
ऋतू वसंत छाई मतवाली,
कचनारों की छठा निराली!
सरसों फूली पिली-पिली,
बिज खिली है अलसी नीली!
सरसों खेत वसंती रंग का,
हवा चली पिला रंग लहरा!
मैला लगा रंग खुशबु का,
फागुन का है ये जादू क्या!
कड़ी ठण्ड न गर्मी ज्यादा,
तन मन फुर्ती से भर जाता!
ख़ट मिटटी पेड़ों से झाड़ी,
लड़ी फलों से झुकती डाली!
कच्ची अमिया खट्टी-खट्टी,
इमली भी अब मिलने लगती!
ठंडा शरबत आचा लगता,
मुश्किल से अब निम्बू मिलता!
घड़े सुराही अब बिकने आते,
सोंधा ठंडा पानी लाते!
पतली ककड़ी हरा पुदीना,
दही मत्ठा अब खाना पीना!
शाम खुले में अच्छा लगता,
हसना खेलकर खूब महकना!
ये सुख थोड़े दिन के आगे, गर्मी के दिन लम्बे…
अब पढाई सर पर भारी, करो परीक्षा की तैयारी!
फिर तो लम्बी छुट्टी होगी,
सरे दिन तक मौज रहेगी!
कविता :- सुभद्रा कुमारी चौहान
पढ़ें बसंत पंचमी पर हमारी कहानी “बसंत”
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