Skip to content
phuta ghada

फुटा घड़ा-Moral Story


एक गाँव में एक नौकर दूर से अपने मालिक के लिए रोज़ सुबह पानी भरकर लाता था| मालिक ने उसको पानी लाने के लिए दो घड़े दिए थे जिन्हें वो लकड़ी के सहारे अपने कंधो पर टांग कर रोज़ सुबह गाँव के पास वाली नदी से भरकर अपने मालिक के लिए लता था| दोनों घड़ों में से एकघड़ा तो बहुत ज्यादा सुन्दर था, लेकिन दुसरे घड़े में एक छोटा सा छेद था| जहाँ से पानी निकलता था| जब तक नौकर नदी से गाँव तक पानी भर कर लाता, फुटा हुआ घड़ा आधा खाली हो जाता था| खैर, पानी लाने का यह क्रम लगभग दो सालों तक ऐसे ही चलता रहा|

एक दिन सुन्दर घड़ा फूटे हुए घड़े को घमंड से बोला कि, तू मालिक का नुकसान करता है| तूने मालिक की सही से सेवा नहीं की| सुन्दर घड़े की यह बात सुनकर फुटा हुआ घड़ा दुखी हो जाता है| अगले दिन जब  नौकर पानी लेकर आता है तो फुटा घड़ा दुखी होकर मालिक से क्षमा मानता है कि मैंने आपकी सही से सेवा नहीं की है, में अब इस काम के लायक नहीं हूँ|

मालिक उस फूटे हुए घड़े की बात को ध्यान से सुना और कहा कि शायद तुमने रास्ते को ध्यान से देखा नहीं| जिस और घड़े से पानी की बुँदे टपकती थी, उस तरफ मेने फूलों के कुछ बिज डाल दिए थे| तुमने रोज़ उन बीजों की सिचाई की और अब वहां एक खुशबूदार फूलों  की क्यारी बन गई है|तुमने जो काम किया है वो शायद सुन्दर घड़ा भी नहीं कर सकता था| मालिक की बात सुन फुटा हुआ घड़ा खुश हो गया और फिर से ख़ुशी-ख़ुशी मालिक की सेवा में लग गया|

कहानी का तर्क यही है की हम सब में कुछ न कुछ खूबियाँ होती है बस फर्क यह है की कुछ लोग उन खूबियों का सही ढंग से उपयोग  कर आगे निकल जाते हैं और कुछ लोग अपनी खूबियों को ज़िन्दगी भर देख हि नहीं पाते|

hindishortstories.com

यह भी पढ़े-नज़रिया-कहानी दो दोस्तों की|Nazariya-Story of two Friends

 

2 thoughts on “फुटा घड़ा-Moral Story in Hindi”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Hindi Short Stories » फुटा घड़ा-Moral Story in Hindi

फुटा घड़ा-Moral Story in Hindi