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Poem on Nature in Hindi

Poem on Nature in Hindi | प्रकृति पर कविता


साथियों नमस्कार, हिंदी कहानियों, कविताओं की सबसे बड़ी वेबसाइट “हिंदी शोर्ट स्टोरीज़” पर आपका स्वागत है| आज के इस अंक में हम आपके लिए प्रकृति के ऊपर “Poem on Nature in Hindi | प्रकृति पर कविता” कुछ खास कविताओं को लेकर आएं हैं आशा है आपको हमारा यह संकलन बहुत पसंद आएगा| धन्यवाद!

“Poem on Nature in Hindi | प्रकृति पर कविता”

वाह प्रकृति तेरी लीला न्यारी
कहीं मड़ते बादल,
कहीं बरसता पानी,
कभी चलती तेज हवाएं,
कभी बिल्कुल थम जाती,
वाह प्रकृति तेरी लीला न्यारी,
कभी सूरज की रोशनी ,
तेज चिलचिलाती,
घनी अंधेरी रातों में,
चाँद तारे की रोशनी टिमटिमाती,
वाह प्रकृति तेरी लीला न्यारी, 
कहीं काले आसमां,
तो कहीं सफेद का रूप ले लेती,
कहीं फूल मुरझाये,
तो कहीं नयी कलियाँ खिलती प्यारी,
वाह प्रकृति तेरी लीला न्यारी,
कहीं सर्दी में लकड़ियाँ जलती,
कहीं वर्फ से ढकी गालियाँ मिलती,
हर समय, हर छड़,
तू बदलती प्यारी,
वाह प्रकृति तेरी लीला न्यारी, 
कहीं सुबह ओस की बूंदे,
तो कहीं सूरज की किरणें दिखलाती प्यारी,
जंगलों में मोर नाचता,
और आसमां में चिड़ियाँ चहचहाती प्यारी,
वाह प्रकृति तेरी लीला न्यारी, 
 अजय राजपूत (झाँसी)

“Small Poem on Nature | प्रकृति पर कविता”

किसी ने तुझे तू कहा
तो तुझे सारी रात नींद न आई
सोचता हूँ उसने कैसे
ज़िन्दगी दरवाज़े के बाहर
गुजारी होगी

आदमी चाँद पर पहुँच कर
क्या इतराता है
जब आदमी आदमी का ही
पेट भर न सका

आदमी वो है
जिसने चिड़ियों से दाने छीने
आदमी वो है
जिसने बादलों से पेड छीने

कोई पतंगा घर में घुस आया
तो सहन नहीं कर पाता
आदमी पतंगे के घर में घुस आया है
यह सच भी पचा न सका

नदी को कोसता है
की उसका घर बहा ले गई
सच यह है की
आदमी ने नदियों से रास्ता छिना

फिर भी किस बात पर
इतराता है आदमी
किसी का क्या हुआ जो
आदमी आदमी का न हुआ

© शैलेन्द्र सिंह “अनुपम”

Poem on Nature in Hindi

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