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Best Motivational Story in Hindi

10 Best Motivational Story in Hindi | मोटीवेशनल कहानियां

साथियों नमस्कार,
आज के इस अंक में आप पढेंगे 10 ऐसी शानदार Motivational Story in Hindi जो आपकी ज़िन्सदगी में एक सकारात्मक बदलाव लेन में मदद करेगी| साथियों,   की ज़िन्दगी में एक वक़्त ऐसा आता है जब हमें हमारी ज़िन्दगी में  किसी प्रेरणा की सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है|

ये वो वक़्त होता है जब हम अपनी ज़िन्दगी में बहुत कुछ हांसिल करना चाहते हैं लेकिन कॉन्फिडेंस की कमी की वजह से हम हमारे लक्ष्य से बस एक कदम दूर रह जाते है|

दोस्तों, इसी परेशानी को दुइर करने के लिए आज Hindi Short Stories आपके लिए 10 ऐसी शानदार मोटीवेशनल कहानियां  लेकर आया है जिन्हें पढ़कर आप खुद को कॉंफिडेंट महसूस करेंगे|


              दो बच्चों की कहानी | Best Motivational Story in Hindi

यह कहानी है दो बच्चों की जो एक गाँव में रहते थे| बड़ा बच्चा 10 साल का था और छोटा 7 साल का| दोनों हमेशा एक दुसरे के साथ रहते, एक दुसरे के साथ खेलते और एक दुसरे के साथ ही घूमते| एक दिन दोनों खेलते-खेलते गाँव से थोड़ा दूर निकल आए| अचानक खेलते-खेलते 10 साल के बच्चे का पैर फिसल गया और वह कुए में गिर गया और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा| अपने दोस्त की आवाज़ सुनकर जब छोटे बच्चे को इस बात का पता चला तो वह बहुत घबराया| उसने अपने आस-पास देखा और मदद के लिए चिल्लाया| लेकिन वहां आसपास कोई नहीं था जो उसकी मदद कर सकता था|

अचानक उसकी नज़र पास ही पड़ी एक बाल्टी पर पड़ी, जिस पर एक रस्सी बंधी थी| उसने बिना कुछ सोचे वह रस्सी कुए में फेकी और अपने दोस्त को उस रस्सी को पकड़ने को बोला| अगले ही पल वह 7 साल का बच्चा उस 10 साल के बच्चे को पागलों की तरह कुए से बाहर निकालने के लिए  खिंच रहा था| उस छोटे से बच्चे ने अपने दोस्त को कुए से बहार निकालने के लिए अपनी पूरी जान लगा दी| आखिरकार वह बच्चा अपने दोस्त को बचाने में कामियाब हुआ और उसने अपने दोस्त को कुए से बाहर निकाल लिया|

लेकिन उन्हें असली डर तो इस बात का था की जब वो गाँव जाएँगे तो उन्हें बहुत मार पड़ने वाली है| खैर, दोनों डरते-डरते गाँव पहुंचे और उन्होंने गाँव वालों को खेलते-खेलते कुए में गिरने और रस्सी के सहारे छोटे बच्चे द्वारा बड़े बच्चे को बाहर निकालने वाली पूरी बात बता दी| लेकिन गाँव वालों ने उनकी बात पर विश्वास नहीं किया और हसने लगे कि आखिर एक 7 साल का बच्चा एक 10 साल के बच्चे को रस्सी के सहारे कुए से बहार कैसे निकाल सकता है|

लेकिन वहां मौजूद एक बुजुर्ग ने उन बच्चों की बातों का भरोसा कर लिया| उन्हें सब “करीम चाचा” कहते थे| करीम चाचा गाँव के सबसे समझदार बुजुर्गों में से एक थे| गाँव वालों को जब करीम चाचा के बच्चों की बात पर विश्वास करने की बात पता चली तो सब इक्कठे होकर करीम चाचा के पास पहुंचे और बोले “चाचा! हमें तो बच्चों की बात पर यकीन नहीं हो रहा है, आप ही बता दो की ऐसा कैसे हो सकता है| गाँव वालों की बात सुनकर करीम चाचा बोले, “बच्चे बता तो रहें हैं उन्होंने यह कैसे किया| बच्चे ने कुए में रस्सी फेंकी और दुसरे बच्चे को ऊपर खीच लिया|

गाँव वालों को कुछ समझ नहीं आ रहा था| कुछ देर बाद करीम चाचा मुस्कुराए और बोले, “सवाल ये नहीं है की बच्चे ने यह कैसे किया, सवाल यह है की वह यह कैसे कर पाया| और इसका सिर्फ एक ज़वाब है की जिस वक़्त वह बच्चा यह कर रहा था उस वक़्त उसको वहां यह बताने वाला कोई नहीं था की तू यह नहीं कर सकता| यहाँ तक की वह बच्चा खुद भी नहीं|

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तो दोस्तों कहानी का सार यही है कि, “अगर अपने दिल की सुनोगे तो ज़िन्दगी में हमेशा सफल रहोगे और अगर दुनियां की सुनोगे तो तुम भी  दुनियां की भीड़ में कहीं खो जाओगे|”

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नीव का पत्थर | Inspirational Hindi Stories

लाल बहादुर श्रास्त्री बड़े ही हसमुख स्वाभाव के थे| लोग प्रायः ही उनसे उनके हसमुख स्वाभाव और निःस्वार्थ सेवा भावना के लिए प्रभावित हो जाया करते थे|

एक बार लाल बहादुर श्रास्त्री को लोक सेवा मंडल का सदस्य बनाया गया| लेकिन लाल बहादुर श्रास्त्री बहुत संकोची थे वे कभी नहीं चाहते थे की उनका नाम अखबारों में छपे और लोग उनकी प्रशंशा और स्वागात करे|

एक बार शास्त्री जी के मित्र नें उनसे पूछा, “शास्त्री जी! आप अख़बारों में नाम छपवाने में इतना परहेज़ क्यों करते हैं|

शास्त्री जी मुस्कुराए और बोले, “लाला लाजपत राए जी ने मुझे लोक सेवा मंडल के कार्यभार को सोंपते हुए कहा था की, लाल बहादुर! ताजमहल में दो तरह के पत्थर लगे हैं| एक बढ़िया संगमरमर के पत्थर हैं, जिन्हें दुनियां देखती है और प्रशंशा करती है|

और दुसरे ताजमहल की नीव में लगे हैं जो दीखते नहीं और जिनके जीवन में अँधेरा ही अँधेरा है| लेकिन ताजमहल को वे ही खड़ा किए हुए है|

लालजी के ये शब्द मुझे हमेशा याद रहते हैं और में नीव का पत्थर बना रहना चाहता हूँ|

इसलिए हमें भी ज़िन्दगी में दिखावे से बचकर वो कार्य करना चाहिए जो असल में ज़रूरी है|


अद्भुत इंजीनियर | Motivational Stories in Hindi for Success

बात अंगेजों के समय की है| हर बार की तरह बम्बई मेल यात्रियों से खचाखच भर कर जा रही थी| एक डिब्बे में एक यात्री गुमसुम बता हुआ था| सांवले से रंग, मझले से कद का वह व्यक्ति धोती कुरता पहने बेठा था|

अन्गेर्ज उसे देहाती और गवांर समझकर उसका मजाक उडा रहे थे| मगर वह सबसे अलग किसी की बात पर ध्यान न देकर अपनी सीट पर बेठा था|

लेकिन कुछ ही देर बाद अचानक उस व्यक्ति ने रेल की ज़ंजीर खिंच दी| पास बेठे लोग उसे पागल, गंवार और भला बुरा कहने लगे| तभी गर्द वहां आ पहुंचा और ज़ंजीर खीचने वाले के बारे में पूछने लगा| गार्ड के पूछने पर उस व्यक्ति ने बताया की यहाँ से कुछ ही दूर रेल की पटरी उखड़ी हुई है|

आपको कैसे पता ? गार्ड ने उत्सुकता वश पूछा|

गाड़ी की स्वाभाविक गति में अंतर आ गया है| इससे प्रतिध्वनि होने वाली गति से मुझे खतरे का अहसास हुआ है – व्यक्ति ने उत्तर दिया|

गार्ड उस व्यक्ति को लेकर रेल की पटरी पर कुछ दूर आगे अगया और देखा की वास्तव में वहां रेल की पटरी उखड़ी हुई थी और पटरी के दोनों छोर अलग-अलग पड़े थे|

तभी कई सारे और लोग भी वहां जमा हो गए| अब सब लोग उस व्यक्ति की प्रशंशा कर रहे थे जो कुछ देर पहले उसी व्यक्ति को बुरा भला और गंवार कह रहे थे|

गार्ड ने उत्सुकता वश पूछा, आप कौन है ? आपका नाम क्या है|

व्यक्ति ने सहज भाव से जवाब दिया, “में एक इंजीनियर हूँ और मेरा नाम डॉ. एम. विश्वेश्वेरेया है|

नाम सुनते ही सब लोग सन्न रह गए| उन्हें अपशब्द कहने वाले अब उनसे क्षमा मांगने लगे|  डॉ. विश्वेश्वेरेया ने कहा आपने जो कुछ भी कहा मुझे बिल्कुल भी याद नहीं|

साथियों यह एक सफल व्यक्ति की पहचान होती है| सफल व्यक्ति हमेशा अपने काम से अपनी पहचान बनता है| इसलिए आप काम ऐसा करो की सब आपको आपके काम और नाम से जाने|


झूंठ फरेब का महल | Motivational Hindi Short Stories

एक बार एक राजा ने अपने राज्य के सबसे कुशल कारीगर को महल में बुलाया| राजा कारीगर की कला से बहुत प्रभावित था| उसने कारीगर को दरबार में बुलाया और कहा, “तुम हमारे लिए राज्य का सबसे सुदर महल बनाओ| हमारे पास धन को कोई कमी नहीं है तुम जितना धन मांगोगे उतना तुम्हे मिलेगा|

कारीगर कुशल तो था लेकिन उसे अपनी कला का घमंड आ चूका था| सब जगह से अपने काम की तारीफ सुनकर अब उसके मन में कामचोरी और आलस्य की प्रवति आ चुकी थी|

खैर, कारीगर महाराज की आज्ञा पा कर अपने काम में जुट गया| लेकिन थोड़े ही दिन बाद उसके मन में विचार उठा की क्यों न रद्दी, घटिया किस्म का माल लगाकर क्जल्दी से जल्दी महल का क्काम समाप्त कर के मोटा मुनाफा कमा लिया जाए| और उसने यही किया|

कारीगर ने घटिया किस्म का माल लगाकर महल की भुरभुरी दीवारें कड़ी कर दी| कारीगर ने बाहर से महल को सुन्दर साज सज्जा से चमका दिया लेकिन अन्दर से महल में क्जच्चा माल लगा था| थोड़े ही दिन में आकर्षक सुन्दरता वाला, सोने सी चमक-दमक वाला सुन्दर सा महल तैयार हो गया|

महल खड़ा करने के बाद अक्रिगर राजा की सेवा में पहुंचा और राजा को महल के बन्नने की सुचना दी| राजा अगले ही दिन महल का निरिक्षण करने के लिए पहुंचे| महल को देख राजा बहुत ही प्रभावित हुए| महल बहुत ही आकर्षक और सुन्दर लग रहा था|

राजा ने कारीगर की बहुत प्रशंशा की और कहा, “में तुम्हारी कुशलता से बहुत प्रभावित हूँ| इतने सुन्दर महल निर्माण के लिए तुम्हे जो भी इनाम दिया जाए वो कम है| में सोच रहा हूँ इस अद्भुत कार्य के लिए तुम्हें क्या इनाम दिया जाए|

फिर थोडा सोच विचार कर महाराज मुस्कुराए और बोले, “लो तुम्हें यही यही महल पुरूस्कार में देता हूँ|”

महाराज की बात सुनकर कारीगर हतप्रभ रह गया| उसे क्या मालूम था की जिस महल को वह घटिया माल से बना रहा है वही महल एक दिन उसे इनाम में मिल जाएगा|

राजा महल का निरिक्षण कर और महल को कारीगर को इनाम में दे ककर चले गए| कारीगर अपने किए पर मुह छिपा कर रोने लगा|

इनाम के लालच में कारीगर का बनाया गया खोखला महल उसी के हत्थे चढ़ गया|

इसीलिए कहते हैं जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है वह खुद्द भी उसी गड्ढे में गिर जाता है| जो झूठ फरेब कजा महल तैयार करता है उसी के हिस्से में वह पड़ता है|


हर अच्छे काम में सहायता करो | प्रेरक कहानी

रावन द्वारा सीता हरण के बाद भगवन राम रवां से युद्ध करने के लिए और लंका तक पहुचने के लिए सागर पर पुल बंधवा रहे थे| भालू, बन्दर बड़े बड़े पत्थर उठा कर समुद्र में डाल रहे थे|

तभी भगवान् राम की दृष्ठि एक गिलहरी पर पड़ी| गिलहरी बालू में लोटती जिससे उसके शारीर पर बालू के कुछ कण चिपक जाते थे| फिर वह उन चिपके हुए कानों को पुल पर जमें हुए पत्थरों पर गिरा देती थी|

यह देखकर भगवान् राम आश्चर्यचकित हुए और बड़े प्यार से गिलहरी के पास जाकर उसे हाथ में उठाया और उससे पूछा, “यह तुम क्या कर रही हो”

प्रभु राम का स्नेह पाकर गिलहरी  बोली, “इस पुनीत कार्य में बन्दर-भालू तो बड़े-बड़े पत्थर उठा कर पुल का निर्माण कर रहें हैं| में छोटी सी गिलहरी भला इतने बड़े पत्थर कैसे उठा सकती हूँ इसलिए बालू के छोटे-छोटे कण उठा कर इस कार्य में अपना योगदान दे रही हूँ|

आप एक आचे कम के लिए निकले है और अच्छे कार्य में तो सहयोग करना ही चाहिए|

गिलहरी की बात सुनकर भगवान् राम बहुत प्रसन्न हुए| कहा जाता है की गिलहरी के कार्य से प्रसन्न होकर भगवान् राम ने  स्नेहता से उसके शारीर पर अपना हाथ फेरा था और आज भी गिलहरी के शरीर पर जो धारियां दिखाई देती है वह भगवान् राम की उँगलियों के निशान ही है|

इसलिए हमें यह कभी नहीं सोचना चाहिए की हमारा योगदान कितना बड़ा है| किसी भी अच्छे कायर के लिए जितना और जैसा भी हम कर सकते हैं वह हमें अवश्य करना चाहिए|

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सबसे बड़ा खजाना | Motivational Story in Hindi 

एक लोहार था| उसने एक बढ़ई  के लिए हथोडा बनाया| हथोडा बहुत ही सुन्दर और मजबूत बना था| हथोड़े की सुन्दरता और मजबूती देख बढ़ई ने सोचा क्यों न लोहार से एक हथोडा और बनवा लूँ|

बढ़ई लोहार के पास गया और बोला, “तुम मेरे लिए एक हथोडा और बना दो लेकिन इस बार जो हथोडा बनाना वह पहले वाले हथोड़े से भी ज्यादा सुन्दर होना चाहिए और इसके लिए में तुम्हें मुह माँगा इनाम दूंगा|

लोहार नें बढ़ई की बात सुनी और विनम्रता पूर्वक कहा, “नहीं यह तो नहीं हो पाएगा”

बढ़ई, लोहार की बात सोनकर आश्चर्यचकित हुआ औ बोला, “आखिर क्यों ?  तुम्हें तो तुम्हारा मुह माँगा इनाम मिलेगा| फिर तुम इसके लिए मना क्यों कर रहे हो|

लोहार नें कहा, “दाम की बात नहीं है में जब भी कोई चीज बनता हूँ पूरी योग्यता और लगन के साथ बनता हूँ| आपके लिए हथोडा बनाने के लिए मेने पूरी लगन और महनत से काम किया है| अब आप ही बताइए में इस से आचा और सुन्दर हथोडा कैसे बना सकता हूँ|

अगर में आपकी बात मन लेता हूँ और कहता हूँ की हाँ में यह कम कर सकता हूँ तो इसका मतलब यह होगा की पहले वाले हथोड़े को बनाने में मैंने कोई कसार बाकि रख दी थी इसलिए इस हथोड़े को में और भी ज्यादा सुन्दर बना सकता हूँ लेकिन यह तो सत्य नहीं है| मेने आपके लिए पहले ही पूरी ईमानदारी और लगन के साथ हथोड़े का निर्माण किया है|

इसलिए कहने का तात्पर्य यह है की किसी के लिए भी कोई भी कार्य करो तो उसे पुरे तन-मन से, महनत से करो| उसे अच्छे से अच्छा बनाने में कोई भी कसार बाकि मत छोड़ो|

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सकारात्मक बनों | Posotive    Story in Hindi

एक बार एक धनि व्यक्ति अपने बच्चों को गरीबी और अमीरी का पाठ पढ़ाने के लिए एक गाँव में ले गया ताकि उसके बच्चे देख सके की गरीबी क्या होती है| आमिर व्यक्ति के साथ उसके दोनों पुत्र थे|

गाँव में एक पूरा दिन और रात बिताने के बाद आमिर व्यक्ति अपने बच्चों के साथ शहर लौट आया| घर आकर उसने अपने बच्चों से एक-एक कर उनका अनुभव जानने का प्रयास किया|

वह अपने पहले पुत्र के पास गया और उसने पूछा, “बेटा, तुम्हें कैसा लगा उस गाँव में समय बिताकर…उनकी गरीबी देखकर|”

पिता की बात सुनकर पुत्र बोला, “पिताजी, गरीबी बहुत ही भयानक है| उनके घर में ना ही कुत्ता है और ना ही स्विमिंग पुल है| उनके पास तो घुमने के लिए गर्दन भी नहीं है| वाकई में पिताजी हम बहुत आमिर है”

पिता ने अपने पुत्र के जवाब को बड़े ही ध्यान से सुना और फिर उसने अपने दुसरे पुत्र से पूछा, “बेटा! तुम्हें कैसा लगा उस गरीब गाँव में समय बिता कर|”

पिता की बात सुनकर दूसरा पुत्र मुस्कुराते हुए बोला, “पिताजी! हम लोग कितने गरीब है| हमारे पास एक कुता है जबकि उनके पास चार-चार है| हमारे पास एक छोटा सा स्विमिंग पुल है जबकि उनके घर के पीछे तो पूरी नदी है| हमारे पास घुमने के लिए एक छोटा सा गर्दन है जबकि उनके पास तो पूरा प्राकृतिक जंगल है| वाकई में पिताजी हम बहुत गरीब है|

पिता कोअपने पुत्र की बात समझ आ गई और वह समझ गया की जीवन में सारा खेल नज़रिए का है| हम चीजों को जिस नज़रिए से देखते हैं वह हमें वैसी ही लगती है|

इसलिए दोस्तों हमें हमेशा चीजों को सकारात्मक तरीके से ही देखना चाहिए| पानी का गिलास आधा खली है या आधा भरका हुआ इसका निर्णय हमें करना है|

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तैमुर और चींटी | हिंदी कहानी

तैमुर के दुश्मनों ने तैमुर का पिचा किया तो वह घने जंगलों में भाग गया और पहाड़ों में एक खंडहर में शरण ले ली| थकावट के कारण वह वहीँ लेट गया|

तभी लेते लेते उसकी नज़र एक चींटी पर पड़ी| वह देखता है की एक चींटी एक चावल का दाना मुह में दबाकर दिवार पर चढ़ रही है, फिर वह दाना निचे गिर जाता है|

अगली बार चींटी फिर उस दानें को लेकर दिवार पर चढ़ती है और इस बार वह खुद निचे गिर जाती है| ऐसा कई बार होता है कभी वह चावल का दाना निचे गिर जाता है और कभी वह चींटी|

तैमुर लेटा-लेटा उस चींटी के प्रयासों को गिनता रहता है| वह चींटी 16 बार चावल के दानें को ले जाने में असफल होती है लेकिन 17 वि बार वह उस दानों को ले जाने में सफल हो जाती है|

तभी तैमुर को झटका लग और वह फिर से अपने दुश्मनों से लड़ने के लिए युद्ध क्षेत्र में आ गया| वह लगातार अपने दुश्मनों से लड़ता रहा और एक दिन सफ़र हो गया|

इसलीये दोस्तों, असफलता से हमें घबराना नहीं चाहिए वरन असफलता से सिख लेकर हमें आगे बढ़ना चाहिए| इसी लिए कहा गया है गिरो, उठा और आगे बढ़ो|

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आत्मनिर्भर बनों | Self Motivation Story in Hindi

एक सर्कस में एक शेर था| उसे बहुत छोटी उम्र से ही जंगल से पकड़कर लाया गया था| शेर सर्कस में ही मालिक के हंटर के इशारों पर चलता था| मालीक के भर से सब कुछ करता था क्यों की बचपन से ही मालिक का भय उसके दिमाग में बता दिया गया था|

सभी इन्सान सर्कस में उसके खेल को निर्भय होकर देखते थे| उसने अपने जीवन में कभी सीकर नहीं किया था इसलिए अपनी शक्तियों से वह परिचित नहीं था|

उसे पता नहीं  था की जंगल में मालिक तो क्या उसका तमाशा बना रहे दर्शक भी उसकी एक दहाड़ सुनकर भाग जाएँगे|

किसी ने शेर के कण में जाकर कहा, “तुम्हारी जगह यहाँ नहीं है| तुम तो जंगल के राजा हो वही तुम्हारा घर है| तुम्हें तुम्हारियो शक्तियों का अहसास जंगल में जाकर होगा| तुम्हें जंगल में जाना चाहिए|

शेर नें सोचा, “थोड़े से काम के बदले मुझे यहं खाना मिलता है| जंगल में खाना कहाँ से आएगा| में भूख से ही मर जाऊंगा| यही सोचकर शेर नें जंगल जाने का इरादा बदल दिया|”

कुछ दिन बीते की एक दिन किसी नें आकर शेर को कहा की उसे जंगल से लाया गया था| बचपन में जिन माता-पिता से वह बिछड़ गया था वे उसे जंगल में ही मिलेंगे|

यह सुनते ही माता-पिता से मिलने के लालच में उसने जंगल जाने की योजना बना ली और एक दिन सर्कस से भागकर जंगल पहुँच गया|

अब जंगल में आकर वह भूखा रहने लगा| उसे जंगली जानवरों की तरह शिकार करना नहीं आता था और सर्कस की तरह अब उसे खाना परोसने वाला भी यहाँ कोई न था|

वह अन्य पशुओं को शिकार करते हुए भी देखता था लेकिन उसे खुद धिकार करने की हिम्मत नहीं होती| फिर एक दिन भूख से बेचैन होकर वह एक जानवर के पीछे शिकार करने के लिए भागा|

शिकार के पीछे पीछे वह एक गाँव के पास पहुँच गया| तभी उसे गाँव में इन्सान दिखाई दिया और उसका डर फिर से लौट आया|

लेकिन तभी उसने देखा की उलटे इंसान उस से डर रहे हैं| आज अहली बार वह खुद को निभिक महसूस कर रहा था और आत्मनिर्भर भी| उसका आत्मविश्वाश लौट आया था और अब वह जंगल का राजा था|

इसलिए हमने हमेशा अपनी शक्तियों को कभी भूलना नहीं चाहिए और निर्भीक होकर आत्मनिर्भर बन्ना चाहिए|


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17 thoughts on “10 Best Motivational Story in Hindi | मोटीवेशनल कहानियां”

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  2. बहुत ही अच्छी blog थी sir मै कामना करता हूँ कि इस तरह की blog आप भविष्य मे लाते रहे धन्यवाद इस तरह की blog के लिए।

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    मस्त कहानी है . हिंदी की ऐसी कहानियाँ बहुत ही कम मिलती हैं. बहुत अच्छा

    1. आदरणीय आपका बहुत बहुत धन्यवाद! हमारी यह रचना हमारे सभी पाठकों को बहुत पसंद आई| हम आशा करते हैं की इसी तरह आपका स्नेह हमें मिलता रहेगा|

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